सप्तकोशी की धारा व हिमालयी बारिश से नेपाल हुआ जलमग्न
पूर्वी कोशी व पश्चिमी तटबंध के अन्दर सुपौल एवं सहरसा जिले के निर्वासित गांवों की स्थिति भी बाढ़ से बनी भयावह...
सहरसा: नेपाल के तराई क्षेत्र सहित पूर्वी व पश्चमी
कोशी तटबंध के अंदर निर्वासित गांवों की हालत बारिश को लेकर तबाही का रुख अख्तियार
कर लिया है। नेपाल तराई क्षेत्र के प्रमुख शहरों में बिराटनगर, इटहरी, बिरतामोड़,
भद्रपुर, इोरवावा, राजविराज, जनकपुर, जलेश्वर, वीरगंज, भैरावावा, नेपालगंज आदि जलमग्न है। इसके
साथ ही नेपाल का एयरपोर्ट भी जलमग्न है और उड़ान अवरुद्ध रहा। भारतीय व् नेपाल
सीमा क्षेत्र का जोगबनी भी जलमग्न हो गया है। जोगबनी रेल ट्रेक भी जलमग्न है। इस
वजह से सिर्फ बथनाहा तक ही ट्रेन चली। भारतीय क्षेत्र के बिहार अवस्थित पूर्वी
कोशी व पश्चिमी तटबंध के अन्दर सुपौल एवं सहरसा जिले के निर्वासित गांवों की
स्थिति भी बाढ़ से भयावह बनी हुई है।
इस साल सप्तकोशी नदी नेपाल को भी न केवल बाढ़ से तबाह किया बल्कि
जनजीवन को भी तबाह कर दिया है। नेपाल को परेशां होते देख

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अररिया का बहादुरगंज रोड |
भीम नगरवासी भी दहशत में हैं। सूत्रों ने बताया कि भीमनगर कोशी बराज का भी 56 फाटक
में से 40 फाटक को पानी के भीषण दवाब को लेकर खोल दिया गया है। अब लग रहा
है कि नेपाल स्थित मध्य हिमालय में भी खूब बारिश हो रही है।
सीमांचल के अररिया-बहादुरगंज
राष्ट्रीय उंच्च पथ 327 ई सड़क पर चरघरिया के पास कनकई नदी के
बाढ का पानी के ओवरफ्लो होने से आवागमन प्रभावित रही और पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल एवं किशनगंज से सड़क टूटा रहा । 

1987 के भीषण बाढ से भी अधिक खराब स्थिति इस बार कनकई
नदी ने पैदा कर दी। स्थानीय लोगों को जग कर रात बिताना मजबुरी हो गया। सैंकडों
घरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से जनजीवन प्रभावित हो गया। यूँ कहा जा सकता है कि कोशी व महानंदा क्षेत्र बाढ़ से बुरी तरह
प्रभावित हुई है। साथ ही गंगा का जल स्तर
बढ़े होने की वजह से कुर्सेला भी कोशी की पानी को मुश्किल से ग्रहण कर पा रही है।
बारिश का आलम यही रहा तो बाढ़ नदी के अंदर और बाहर भी तबाही मचा सकती है...