सुरजीत के आंगन में बच्चों की
किलकारियां नहीं
सुनायी देती है सर्पों की
फुफकार
पर्यावरणप्रेमी युवक अब भी है कुंवारा
आश्चर्य:-
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए देश व दुनियां के लोग अपने-अपने स्तर से बेताब हैं. कोई ओजोन लेयर की बात
करता है तो कोई वन्य प्राणियों की संरक्षण में जुटे हैं. कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने
दम पर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जान को जोखिम में डाल कर भी लगे हुए हैं.
नेपाल की तराई में बसा बिहार का
जिला अररिया के आश्रम रोड निवासी सुरजीत मंडल न सिर्फ सर्पों की जान बचाते हैं
बल्कि एक से एक विषधरो को अपने आंगन में
पालने का भी काम करते हैं. सुरजीत पेशे से स्टोव
मैकेनिक है और अपनी पेट की जुगत के बाद सारा समय पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अर्पित करता है. सुरजीत ने अब तक ढाई हजार से अधिक विषैले सर्पों की जान बचाकर उसे घने जंगल में स्वच्छंद
विचरण के लिए छोड़ देता है. सुरजीत के घर के आंगन में बच्चों की किलकारियों नहीं
बल्कि सर्पों की फुफकार सुनने को मिलती है. सबसे खास व आश्चर्य की बात तो यह है कि
साधारण मजदूरी करने वाले पर्यावरण प्रेमी युवक समाज और पर्यावरण के सादगी के लिए आज तक कुंवारा है और ये सर्पों को ही अपना सब कुछ मान
बैठा है. इनके घरों में आज भी विभिन्न प्रजातियों
के दर्जनों सर्प कृत्रिम बिल में मौजूद है.
सर्पों को सुरक्षित व उसके
तापमान के अनुरूप रखने के लिए तरह-तरह के बिल बनाए हुए है और उनमें विषधर आराम से रहते हैं. पर्यावरण के लिए समर्पित ऐसे युवक के लिए सरकार और समाज ने भी कभी चिंता नहीं की है॰ अगर चिंता होती तो इन्हे भी बिहार सरकार से कोई न कोई पुरस्कार हासिल जरूर होती॰॰॰बस इंतजार है---