Tuesday, November 5, 2013

भईया-दूज पर्व क्या है

                 भईया दूज पर्व 

भाई के दीर्घायु का पर्व है:- भईया-दूज                                                                                              
पर्व के बाद बहना खिलाती है भाईयों को बजरी 





भैया दूज पर्व-- भाई व बहन के बीच आस्था की महान पर्व भैया-दूज है। इस पर्व मे कार्तिक शुक्ल पक्ष दूतीय को बहना अपने-अपने भाईयों को उपवास रहकर पूजा करती है और भाइयो को बजरी खिलाकर लंबी उम्र की कामना करती है । हिन्दु समुदाय के परिवारों में बहना उपवास रखकर अहले सुबह भईया दूज मनाने की परंपरा रही है। भैया दूज मनाने के लिए अपने-अपने मुहल्ले के जानकार वृद्ध महिला के घर गोबर से लिप कर पूजन स्थल बनाया जाता है। उक्त स्थल के चारों तरफ महिला व लड़कियों ने प्रतीक रूप का यमुना व यमराज बनाकर गीत-नाद से पूजा अर्चना की। इसके बाद अपने-अपने भाईयों को बजरी खिलाकर दीर्घायु होने की कामना करती है।
वृद्ध महिलाओं ने भैया दूज की कथा वांचती है। कथा के दौरान पौराणिक मान्यताओं से अवगत कराती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मैया यमुना ¼नदी½ ने अपने भाई यमराज को इसी दिन मांगलिक द्रव्यों का टीका कर भोजन करवायी थी। इसके बाद भाई यमराज ने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने की इच्छा व्यक्त की तो बहन ने वरदान में मांग की कि कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को जो भी स्नान करेगा उन्हें अंत काल में यम यातना नहीं भोगना पड़ेगा। यमराज ने इस दिन अपनी प्यारी बहना यमुना को वरदान देकर परलोक चले गये। उस दिन से ही इस मान्यता को बहन व भाई अंगीकार कर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को मनाई करती है।