Saturday, August 12, 2017

हिमालयी बारिश व सप्तकोशी की धारा से नेपाल हुआ जलमग्न


 सप्तकोशी की धारा व हिमालयी बारिश से नेपाल हुआ जलमग्न 
 पूर्वी कोशी व पश्चिमी तटबंध के अन्दर सुपौल एवं सहरसा जिले के निर्वासित गांवों की स्थिति भी बाढ़ से बनी भयावह...
 सहरसा: नेपाल के तराई क्षेत्र सहित पूर्वी व पश्चमी कोशी तटबंध के अंदर निर्वासित गांवों की हालत बारिश को लेकर तबाही का रुख अख्तियार कर लिया है। नेपाल तराई क्षेत्र के प्रमुख शहरों में बिराटनगर, इटहरी, बिरतामोड़, भद्रपुर, इोरवावा, राजविराज, जनकपुर, जलेश्वर, वीरगंज, भैरावावा, नेपालगंज आदि जलमग्न है। इसके साथ ही नेपाल का एयरपोर्ट भी जलमग्न है और उड़ान अवरुद्ध रहा। भारतीय व् नेपाल सीमा क्षेत्र का जोगबनी भी जलमग्न हो गया है। जोगबनी रेल ट्रेक भी जलमग्न है। इस वजह से सिर्फ बथनाहा तक ही ट्रेन चली। भारतीय क्षेत्र के बिहार अवस्थित पूर्वी कोशी व पश्चिमी तटबंध के अन्दर सुपौल एवं सहरसा जिले के निर्वासित गांवों की स्थिति भी बाढ़ से भयावह बनी हुई है।

इस साल सप्तकोशी नदी नेपाल को भी न केवल बाढ़ से तबाह किया बल्कि जनजीवन को भी तबाह कर दिया है। नेपाल को परेशां होते देख

शनिवार को 10 बजे दिन में कोशी बराज से 2 लाख 81 हजार 955 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया वहीं बराह क्षेत्र में भी एक लाख 99 हजार 500 क्यूसेक डिस्चार्ज किया गया और जल वृद्धि भी जारी है। भीमनगर कोशी बराज से लेकर मरौना, सरायगढ़, नवहट्टा, महिषी से राजनपुर व वीरगांव आदि के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ गयी है। जबकि नेपाल के सुनसरी, मोरंग के भी शहर व गांवों की हालत भयावह हो गयी है। सुनसरी के औरबनी विकास समिति निवासी गुणानंद चौधरी ने बताया कि एक हप्ताह से बारिश हो रही है। चार दिनों की बारिश की वजह से सुनसरी-मोरंग का इलाका जलमग्न हो गया है। बिराटनगर का एयरपोर्ट भी जलमग्न है। बिराटनगर-धरान का कोशी राजमार्ग भी डूब गया है। 
अररिया का बहादुरगंज रोड 
भीम नगरवासी भी दहशत में हैं। सूत्रों ने बताया कि भीमनगर कोशी बराज का भी 56 फाटक में से 40 फाटक को पानी के भीषण दवाब को लेकर खोल दिया गया है। अब लग रहा है कि नेपाल स्थित मध्य हिमालय में भी खूब बारिश हो रही है। 
सीमांचल के अररिया-बहादुरगंज राष्ट्रीय उंच्च पथ 327 ई सड़क पर चरघरिया के पास कनकई नदी के बाढ का पानी के ओवरफ्लो होने से आवागमन प्रभावित रही और पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल एवं किशनगंज से सड़क टूटा रहा । 
1987 के भीषण बाढ से भी अधिक खराब स्थिति इस बार कनकई नदी ने पैदा कर दी। स्थानीय लोगों को जग कर रात बिताना मजबुरी हो गया। सैंकडों घरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से जनजीवन प्रभावित हो गया। यूँ कहा जा सकता है कि कोशी व महानंदा क्षेत्र बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुई है साथ ही गंगा का जल स्तर बढ़े होने की वजह से कुर्सेला भी कोशी की पानी को मुश्किल से ग्रहण कर पा रही है। बारिश का आलम यही रहा तो बाढ़ नदी के अंदर और बाहर भी तबाही मचा सकती है...