Tuesday, October 3, 2017

“दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता अभियान

दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता अभियान

मुखिया रामनाथ पांडे ने अपना उद्दगार व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज प्रथा के कारण ही समाज मे बेटियों को जन्म से पहले ही कोख में ही खत्म कर दिया जाता है। लोग भगवान का दिया बेटियों जैसा अनमोल ऊपहार को भी लेने से इंकार कर देते हैं तो ऐसे लोगो को बुरे वक़्त मे भगवान भी मदद नहीं करता है...

कटिहार: दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए गाँधी जयंती के अवसर पर सामाजिक संस्था भूमिका विहार कटिहार, की ओर से रामपुर गाँव में एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर रामपुर के मुखिया रामनाथ पांडे ने अपना उद्दगार व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज प्रथा के कारण ही समाज मे बेटियों को जन्म से पहले ही कोख में ही खत्म कर दिया जाता है। लोग भगवान का दिया बेटियों जैसा अनमोल ऊपहार को भी लेने से इंकार कर देते हैं तो ऐसे लोगो को बुरे वक़्त मे भगवान भी मदद नहीं करता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह समाज के सम्पूर्ण विकास मे बाधक है। जब तक हम दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे बुराइयों पर विजय नहीं पाते हैं तब तक  हमारा समाज खुशहाल नहीं हो सकेगा।
भूमिका विहार के कार्यकर्ता हेमंत कुमार ने इस कार्यक्रम की अहमियतता को बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम के द्वारा समाज में विभिन्न समुदाय के लोगो के बीच जागरूकता लाकर ही दहेज प्रथा एवं बाल विवाह पर अंकुश लगाया जा सकता है। अभी दहेज़ प्रथा एवं बाल विवाह एक ज्वलंत मुद्दा है, जिस पर त्वरित कारवाई करना अत्यंत जरूरी है। दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे कुरीतियां कायम रही तो न जाने कितनी बेटियों को अपने प्राणों की आहुती देनी पड़ेगी। इस कुरीती से कितने परिवार की रौनक उजर चुकी है। इसके बावजूद यह समाज की ही नहीं इस देश की एक बड़ी समस्या बनी हुई है। दहेज विरोधी कई कानून बनाए जा चुके है, पर उनपर पूर्ण रूप से अमल नहीं होने से कई जगह तो इसे सामाजिक प्रतिष्ठा से जोरा जाता है कि ज्यादा दहेज दिया या लिया वह अच्छे घराने से माना जाता है। ऐसे परंपरा को हम सबों को मिलकर तोड़ना होगा और इस कुरीतियों को समाज से पहले अपने मन व सोच से बाहर निकाल फेकना होगा।
भूमिका विहार के अन्य कार्यकर्ता ने भी एक स्वर से कहा कि आज हिंसा का आसान शिकार एक लड़की को ही होना पड़ता है। चाहे वह दहेज प्रथा हो या बाल विवाह। लड़कियों को जन्म के पहले से ही हिंसा की शिकार होना पड़ता है। इस सोच का जन्म परिवार में ही हो जाता है। इसलिए जब तक एक-एक परिवार की सोच नहीं बदलेगी तब तक समाज में जागरूकता नहीं आ सकती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता संदेशहर परिवार मे जाएगी और साथ ही हमारे समाज मे भी एक अच्छा संदेश जाएगा।



बेटियों को कोख में मारने वालों के आँगन नहीं हो सकती ख़ुशी: बीबी नीलोफर

बेटियों को कोख में मारने वालों के आँगन नहीं हो सकती ख़ुशी: बीबी नीलोफर


जब तक एक-एक परिवार की सोच नहीं बदलेगी तो समाज में जागरूकता नहीं आ सकती है...

 उपेन्द्र यादव/अररिया: गाँधी जयंती के मौके अररिया के रामपुर पंचायत के कोडकतती गाँव में  सामाजिक संस्था भूमिका विहार के द्वारा दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम मे रामपुर पंचायत के मुखिया श्रीमती बीबी नीलोफर के आलावा भूमिका विहार के कार्यकर्ता विपिन कुमार सहित काफी संख्या मे ग्रामीण प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
रामपुर की मुखिया श्रीमती बीबी नीलोफर ने कहा कि इस दहेज प्रथा के चलते ही समाज मे बेटियों को कोख मे ही नहीं आने दिया जाता है। उसे जन्म से पहले कोख मे ही मार दिया जाता है। लोग भगवान का दिये उपहार को लेने से भी इंकार कर देते है तो ऐसे लोगो को बुरे वक़्त मे भगवान भी मदद नहीं करता। उन्होंने कहा कि बेटियों को कोख में मारने वालों के आँगन कभी भी ख़ुशी नहीं मिल सकती है। बाल विवाह समाज के सम्पूर्ण विकास मे बाधक है। जब तक हम दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे बुराइयों पर विजय नहीं पाते, हमारे समाज मे असली दशहरा की खुशी नहीं आएगी। इसलिए जब तक एक-एक परिवार की सोच नहीं बदलेगी तो समाज में जागरूकता नहीं आ सकती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता संदेशहर परिवार मे जाएगी और साथ ही हमारे समाज मे भी एक अच्छा संदेश जाएगा।
इस मौके पर भूमिका विहार के विपिन कुमार ने कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस आयोजन से समाज के विभिन्न समुदायों के बीच जागरूकता लाया जा सकता है। दहेज प्रथा एवं बाल विवाह एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसपर त्वरित कारवाई करना अत्यंत जरूरी है।

न जाने इस दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे कुरीतियों मे कितने ही बेटियों की आहुतियां दी जा चुकी है और कितने परिवार की रौनक उजर चुकी है। दहेज विरोधी कई कानून होने के बाद भी पूर्ण रूप से अमल नहीं हो पाया है। कई जगह तो इसे सामाजिक प्रतिष्ठा से जोरा जाता है, जो बिल्कुल गलत है।