Sunday, September 27, 2015

18 अगस्त 2015 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम सहरसा




...जब हाथ फैलाये, हाथ हिलाते, मुस्कुराते चले गये... 




बाढ के दीर्घकालीन समाधान ढूंढने के लिए कांग्रेस व बिहार सरकार दोषी
    भूकम्प व पहाड़ पर पानी अटकने की घटना से हाईडैम हुआ खारिज
    विषेष बिहार पैकेज की नहीं, विषेष कोषी पैकेज की थी दरकार


कोशी अंचल की बुनियादी समस्या बिहार के अन्य क्षेत्रों से बिल्कुल अलग है. इस क्षेत्र के लोगों को बाढ व सुखाड़ एक साथ झेलना पड़ता है और यह कही जा सकती है कि प्राकृतिक आपदा इस अंचल के रग-रग को झकझोरती रहती है. कोशी अंचल वासियों को बिहार के विशेष पैकेज के साथ-साथ कोशी अंचल के लिए विशेष पैकेज की जरूरत थी. लेकिन सहरसा के पटेल मैदान में सम्पन्न परिवर्तन रैली से यह अपेक्षा भी कोशी व सीमांचल वासियों का पूरा न हो सका. 18 अगस्त 2015 को परिवर्तन रैली के बहाने लोकसभा चुनाव में कोशी व सीमांचल क्षेत्र से करारा झटका खाये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बाढ के दीर्घकालीन समाधान नेपाल के सहयोग से अब तक न ढूंढ पाने का इल्जाम कांग्रेस व बिहार के वर्तमान सरकार पर मढ गये. प्रधानमंत्री के भाषण से यह स्पष्ट हो गया कि कोसी व सीमांचल की धरती पर कांग्रेसी व समाजवादियों का कब्जा रहा है और इन दोनों विचारों से प्रभावित आम वोटरों को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मोड़ने का भरसक प्रयास किया.
भाजपा की इस परिवर्तन रैली में उमड़ी भीड़ की तुलना लोगों ने कांग्रेस सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी से बेहिचक किया. लेकिन कोषी व सीमांचल के विभिन्न जिले व गांवों आये लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना रहा कि आखिर किस बात की सजा प्रधानमंत्री कोशी व सीमांचल वासियों को दे गये. लोगों के बीच पहले से इस बात का भ्रम फैलाया जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी आएंगे, नया-नया सब्जबाग दिखाएंगें और कुसहा त्रासदी की घाव को पुनः खरोंच कर चले जाएंगें. दर असल ऐसा ही हुआ. लोगों को आशा थी कि कुसहा त्रासदी के सातवीं बरसी पर कोसी व सीमांचल के समग्र विकास के लिए कुछ खास तोफा देंगे. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. वैसे कुसहा त्रासदी के बाद बिहार के तत्कालीन राजग सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने पहले से बेहतर कोशी बनाने का भरोसा दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुर में सुर बिहार भाजपा के वरीय नेता और सूबे के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी कहते थकते नहीं थे. लेकिन आज स्थिति उलट है. अब जहां नीतीष कुमार खुद के राजनीतिक अस्त्वि की लड़ाई राजग से ठान लिया है वहीं बेहतर कोशी पुनर्निर्माण भी अन्य योजनाओं की तरह चल रही है. भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी भी कोशी पुनर्निर्माण के लिए अब कुछ खास नहीं कह पा रहे हैं. उपलब्धि को खुद के खाते में और कोशी का दर्द नीतीश के खाते में डाल रहे हैं. हालांकि परिवर्तन रैली में कोशी व सीमांचल के विभिन्न क्षेत्रों से उमड़े जन सैलाब के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि बाढ की समस्या का समाधान नेपाल के सहयोग के बिना असंभव है और सत्रह साल से जिस देश का प्रधानमंत्री नेपाल नहीं गया हो वह बाढ समस्या का दीर्घकालीन समाधान कैसे ढूंढ सकता है. लेकिन वे बोले कि यह काम मैंने 2014 में कर दिखाया. आज नेपाल कंधे से कंधे मिला कर हमारे साथ है. जब साथ है तो बाढ समस्या का दीर्घकालीन समाधान भी होगा. नेपाल के साथ हमारा मधुर संबंध होना चाहिए. नेपाल के साथ हमारी पानी की समस्या का समाधान बैठकर होना चाहिए. मैं नेपाल गया और कहीं जाने के लिए रास्ते खोजने पड़ते हैं.
पटना से नेपाल महज 70 मिनट में जाया जा सकता है. यहां के लोग एक बार जो ठान लेते हैं वो करते हैं. कितनी आंधी,तुफान हो न थकते और न रूकते हैं. यहीं से कुसहा त्रासदी की चर्चा करते हुए कहा कि 18 अगस्त 2008 को भयंकर बाढ आयी थी. गांव विनाश के कगार पर आ गये थे.न धरती बची थी न लोग बच पा रहे थे. यहां के सात-आठ जिलों के 35 लाख लोग तबाह हो गये. यहां के खेत बालू से भर गये थे. गांव विनाश के कगार पर आ गये. आम जन मुसीबतों से गुजर रहा था. उस समय मैं गुजरात में था. यहां के लोग गुजरात में बसे हैं. देश भर के लोग उस संकट में आप के साथ खड़े थे. राजनेताओं के अंहकार के कारण न संवेदनाओं को समझ पाते हैं और न पीड़ा समझ पाते हैं. किसी व्यक्ति का अहंकार कितनी चीढ पहूंचाता है, मुझे कोई अपमानित और अनाप-षनाप किसी भाषा का प्रयोग कर ले, मैं सार्वजनिक रूप से कभी बोलता नहीं हूं. जब अहंकार के कारण जन सामान्य की पीड़ा के साथ खिलवाड़ किया गया तो जनता के कारण मैं  रोक नहीं पाता हूं. यही दिन था गुजरात के लोगों ने अपनी पसीने की कमाई से 5 करोड़ का चेक भेजा था. लेकिन अहंकार इतना था कि आप दर्द से कराह रहे थे और उनका अहंकार चेक वापस भेज दिया. जनता से सवाल करते हुए श्री मोदी ने कहा जो अपना अहंकार न छोड़े उसे विदा कर देना चाहिए कि नही...? जनता के बीच से आवाज आई हां. प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बोला कि आप चुपचाप वोट दिजिए कहीं कोई पता नहीं चलेगा. वे कांग्रेस पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि ऐसे लोगों से मैं क्या अपेक्षा करू...? जयप्रकाश नारायण हमारे देश की शान है कि नहीं, आपको याद है, उन जयप्रकाश नारायण को जेल में किसने बंद करवाया. कांग्रेस पार्टी ने. वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे. मेरे दिल में आपके लिए बहुत जगह है. वे जनता से एक बार फिर सवाल करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण की मृत्यु के लिए कौन जिम्मेवार है. बिहार की जनता ने ठान लिया कि जेपी के साथ धोखा करने व जिंदगी तबाह करने वालों को अब स्वीकार नहीं किया जाएगा.
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि कुसहा त्रासदी एक बार फिर आने वाला था. मुझे सेटेलाईट के माध्यम से जानकारी हुई. सेना भेजकर हमने बम बलरस्ट करवाया. छोटे-छोटे सुराग से पानी नदियों से निकाला गया. उस समय यहां के किसान हमसे नाराज हो गये थे. कोषी अंचल के किसानों को गांव छोडकर 50 किलो मीटर दूर जाना पड़ा था. कोषी अंचल को सुरक्षित रखने के लिए मैने त्वरित कदम उठाया. सनद रहे कि नेपाल क्षेत्र में पहाड़ पर भूस्खलन के बाद पहली अगस्त 2014 को भोटे नदी के उपर खतराक स्थिति पैदा होने से हो गयी थी. अगर पानी धीरे-धीरे नहीं निकलती तो कुसहा से भी भारी तबाही बिहार के कोशी अंचल वासियों को भुगतना पड़ता.
हां, यह भी सत्य है कि जहां प्रधानमंत्री कोशी व सीमांचल वासियों को परिवर्तन रैली को परिवर्तन की देहरी पर ही छोड़ गये? तो गर्मी व मूसलाधार बारिश की चुनौती ढेलते हुए रैली में भाग लेने पहूंचे लोगों ने भी जाते-जाते कई सवाल छोड गये. इस सवाल का जवाब कोशी व सीमांचल की जनता बिहार विधानसभा चुनाव में जरूर चुकता करेगी.
बाढ समस्या का दीर्घकालीन समाधान कांग्रेसी हुकूमत व तथाकथित जल विशेषञ हाईडैम मानते रही है और हाल के भूकम्प और भोटे नदी के पहाड़ पर पानी अटकने की पहली अगस्त 2014 की घटना ने पहले ही यह साबित कर दिया कि हाईडैम का निर्माण कोशीवासियों के लिए विध्वंसक समाधान होगा. इसलिए प्रधानमंत्री कोषी व सीमांचल वासियों के जानमाल की सुरक्षा के लिए बेहतर उपाय बनाने के लिए एक आयोग के गठन की भी घोषणा करते तो क्षम्य था. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोशीवासी पलके बिछाये रह गये और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने दोनों हाथ फैलाये, हाथ हिलाते,मुस्कुराते चले गये...