Monday, July 10, 2017

मध्य हिमालय क्षेत्र में बारिश हुई तो भयंकर बाढ का करना पड़ सकता है सामना

अर्ली मानसून की आहट को सरकार को माननी चाहिए बाढ की आहट 


कोसी नदी का पानी भी गंगा ग्रहण नहीं कर पा रही है। कोसी नदी व गंगा नदी दोनों का तल उंचा हो गया है और सभी सहाय नदियों के तल भी उंची हो गयी है। यही वजह है कि गंगा का तल उंचा हो जाने के कारण कोसी का अत्याधिक जल निस्सरण बाढ की तबाही मचा सकती है...





दैनिक खबर/सहरसाः इस साल कोसी में बाढ की तस्वीर बदल सकती है। कोसी जहां अभी से ही उफनाने लगी है वहीं कोसी की सभी सहायक नदियों में भी बाढ आ गयी है। कोसी की सहायक नदियों की बाढ से बचाव के लिए न तो सरकार के पास कोई योजना है और न ही परियोजना। इसलिए सरकार, विभाग व प्रशासन को मानसून की तेवर को भांपते हुए बाढ सुरक्षात्मक व संघर्षात्मक कार्यों को युद्ध स्तर पर करने की जरूरत नदी विशेषज्ञ बता रहे हैं।

नदी विशेषज्ञ रणजीव कहते हैं कि इस साल अर्ली मानसून है। अभी इतनी बारिश नहीं होनी चाहिए। जबकि अक्टूबर तक बारिश होनी है। अभी नेपाल व हिमालय के तराई क्षेत्रों में ही बारिश हो रही है। अगर मध्य हिमालय क्षेत्रों में बारिश हुई तो कोसी में बाढ की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए ज्यादा पानी आने पर कोसी बांध के बाहर बहने लगेगी। कोसी नदी का पानी भी गंगा ग्रहण नहीं कर पा रही है। कोसी नदी व गंगा नदी दोनों का तल उंचा हो गया है और सभी सहाय नदियों के तल भी उंची हो गयी है। यही वजह है कि गंगा का तल उंचा हो जाने के कारण कोसी का अत्याधिक जल निस्सरण बाढ की तबाही मचा सकती है। इसलिए सरकार को अर्ली मानसून की आहट को बाढ की आहट मानकर सारी तैयारियां करनी चाहिए। इसके अनुसार सरकार को बहुत ज्यादा तैयारी करने की जरूरत है जो नहीं हो पा रही है। श्री रणजीव कहते हैं कि 2008 की कुसहा त्रासदी के बाद कोसी नदी नेपाल से लेकर कोपरिया व कुरसेला तक पूरब की तरफ शिफ्ट कर प्रवाह कर रही है और साथ ही गंगा का बेड लेबल भी काफी उंचा हो गया है। यही वजह है कि गंगा नदी भी अब कुरसेला में कोसी के पानी को अपनी तरफ नहीं खींच पा रही है। हल्की बारिश में कोसी सहित सभी सहायक नदियों की यह हाल है तो बारिश की सदाबहार मौसम में बाढ का क्या हाल होगा। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने के लिए श्री रणजीव कहते हैं कि बाढ का स्थाई समाधान किये बगैर बाढ से सुरक्षा की गारंटी नहीं की जा सकती है।

नेपाल प्रभाग में नदी घाटियों के लिए वर्षा का पूर्वानुमान

नेपाल प्रभाग के धनकुट्टा, धरान बाजार, ओखलकुंडा व टापलेजुंग की बारिश का असर कोसी नदी पर सीधे पड़ती है। जबकि नेपाल के बिराट नगर में बारिश होने से महानंदा नदी में जलवृद्धि होती है। इस बार 10 जुलाई 2017 को धनकुट्टा में 23.62 11 जुलाई को 4.96, धरान बाजार में 35.36 11 जुलाई को 1.52, ओखलकुंडा में 10 जुलाई को 19.75 11 जुलाई को 1.35 एवं टापलेजुंग में 10 जुलाई को 23.62 11 जुलाई को 15.74 बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया गया है। अब अनुमान सही हो रही है। जबकि इन सभी क्षेत्रों की औसतन बारिश का 10 जुलाई को 31.17, 11 जुलाई को 17.75 एवं 12 जुलाई को 4.30 अनुमान लगाया गया है। जबकि बिराटनगर में 10 जुलाई को 57.26 11 जुलाई को 0.79 बारिश का अनुमान है। अगर बारिश की स्थिति यही रही तो इस साल की बारिश बाढ त्रासदी का रूप अख्तियार कर सकती है।
 कोसी की सहायक नदियां भी उत्पन्न करती है बाढ    
कोसी जहां अभी से ही उफनाने लगी है वहीं कोसी की सभी सहायक नदियों में भी बाढ आ गयी है। जबकि कोसी की सभी सहायक नदियों के लिए सरकार के पास कोई योजना व परियोजना नहीं है। ऐसे सभी सहायक नदियों के पुनर्जीवित व संरक्षण की ज्यादा जरूरत है। इसके संरक्षण से बिहार में सिंचाई, मत्स्य पालन के आलावा जल कृषि के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया जा सकता है।    

कौन-सा क्षेत्र है मध्य हिमालय       

हिमालय के मध्य भाग का क्षेत्रफल एक लाख 16 हजार 800 वर्ग किलो मीटर है और इस मध्य हिमालय क्षेत्र में ही संपूर्ण नेपाल स्थित है। इस मध्य हिमालय के ग्लेशियर के पिघलने व बारिश के पानी की निकासी पूरब में कोसी, पश्चिम में कर्नाली व मध्य में गंडक नदी के द्वारा होते रही है। मध्य घाटी में ही नेपाल की राजधानी काठमांडु भी अवस्थित है। यहां कई शिखर ऐसे हैं जिनकी उंचाई आठ हजार मीटर है और ऐसे सर्वाधिक ऊँचाई वाले शिखर मध्य हिमालय क्षेत्र में ही पड़ती है। जिसमें धौलागिरी (8172मी.), अन्नपूर्णा (8078मी.), मनासल (8156मी.), गोसाईथान (8013मी.), चोओयू (8153मी.), माउंट एवरेस्ट (8848मी.), मकालू (8481मी.) सहित कांचनजुंगा (8598मी.) भी शामिल है। इसी प्रकार विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट की एकल सरंचना ऐसी है जो 1070 मीटर मोटी एवं चूना पत्थर व अन्य अवसादों के रूपांतरण से ही निर्मित हुई है। ये सभी शिखर सदा हिमच्छादित है और अनेक हिमनदों का भरण भी करती है। नेपाल को दो भागों में विभक्त करने वाली घाटी अवसारी शैल की वंशज पहाड़ियों के कटने से रूपांततरित होकर बनी है। जबकि उत्तर में अभिनत पहाड़ियाँ नेपाल को घेरे हुए है और दक्षिणी भाग उच्चावाच प्रतिलोमन को प्रदर्शित करती है।
 नहीं ढूंढा जा रहा है बाढ का स्थाई समाधान
बाढ का स्थायी समाधान नहीं ढूंढा जा रहा है और सरकार व जनप्रतिनिधि अब भी हाईडैम की पुरानी राग अलापने में लगी है। जबकि कोसी वासियों के लिए हाईडैम बाढ का सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकती है। यह क्षेत्र भूकंप के लिए सबसे अतिसंवेदनशील क्षेत्र है और विगत कई सालों से नेपाल में आ रही भूकंप ने यह साबित कर दिया कि कोसी की बाढ का हाईडैम भी वास्तविक समाधान नहीं रह गया है। नेपाल की काठमांडू और पहाड़ पर सिन्धु नदी ला अटका पनु भी एक सबसे बड़ा उदाहरण है।