पति के दीर्घायू का महापर्व वट सावित्री
वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती महिलाएं |
सहरसा/ हरेक साल ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में मनाये जाने वाली महिला व नव कन्याओं का महान वट सावित्री पर्व सामाजिकता के साथ-साथ पूर्णः पर्यावरणिक संदेश देती है। इस पर्व में महिलाएं व नव कन्या जहां वट वृक्ष की परिक्रमा कर अपने पति परमेष्वर के दीर्घायू होने के लिए वट वृक्ष में मोली बांध कर कामना करती है। वहीं व्रती वट के कोमल पत्तों को अपने जूड़ों में लगाकर पर्यावरणिक संदेश देती है।
यह पर्व शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में काफी हर्षोल्लास एवं निष्ठा के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि सत्यवान व सावित्री के इस पतिव्रता पर्व की महिलायें खासकर हिन्दु धर्म की सुहागन महिलाओं में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस ख्याल से इस पर्व को महिला व नव कन्याओं के द्वारा आदि काल से ही मनाये जाने की परम्परा रही है। हालांकि वट वृक्ष की पूजा पतिव्रता धर्म के साथ-साथ कहीं न कहीं समाज को पर्यावरणिक संदेश भी देती है। वट सावित्री के इस पर्व में महिलाएं प्रतीकात्मक पति के रूप में वट वृक्ष को पंखा भी झेलती है। इस पर्व को लेकर लीची व केला काफी महंगे दरों में हरेक साल बिकती है।