Friday, March 2, 2012

कोशी की घुमौर होली

                                    कोशी की घुमौर होली

बुरा ना मानो होली है॰ होली है, भाई होली है, रंग-गुलाल  की होली है॰...  जोगिरा, सारा,रारा रा... जोगिरा, सारा,रारा रा...जोगिरा, सारा,रारा रा...जोगिरा, सारा,रारा रा...

 

बनगांव के विषहरी दरबार मे उन्मुक्त भाव से होली मानते ग्रामीण
कोशी प्रमंडल के कहरा प्रखंड अंतर्गत विशाल गांव बनगांव कई मायने में चर्चित है. बनगांव की धरती को ही 18 वी सदी के संत लक्ष्मीनाथ गोसाई ने अपना कर्म स्थली  चुना. संत श्री गोसाई ने बनगांव में भगवान् श्रीकृष्ण की तरह हिन्दू-मुश्लिम के साथ घुमौर होली मानना प्रारंभ किया.
                      

 

सहरसा जिला मुख्यालय से महज 9 किलो मीटर पशिम कहरा प्रखंड अंतर्गत विशाल गांव बनगांव है. इस  गांव में सभी जाती व धर्म के लोग रहते है.  बनगांव की आबादी भी विशाल है. ऐसा कहा जा सकता है कि बनगांव की अपनी संस्कृति है. अपनी पहचान है.इसलिए देश व दुनिया में बनगांव का नाम है.      
मथुरा में  भगवान् श्रीकृष्ण की लठमार होली तो बनगांव में घुमौर होली की अपनी परम्परा है. इस मोके पर  बनगांव दो भाग में बंट जाता है. खुले बदन सम्पूर्ण गांव को घूमता है. गांव घुमने वाले हुजूम को लोग जीरह कहते है. हुजूम सम्पूर्ण गांव को घूम कर बिसहरी थान पहुचती है.इस बिच जगह- जगह   गांव की घरो की झरोखे से माँ व बहने रंग उड़ेलती है. विषहरी थान में मानव महल बना कर घुमौर कि हुजूम शक्ति प्रदर्शन करता है. विषहरी थान में ही होली समाप्त हो जाती है.
इतना ही नहीं होली के एक सप्ताह पूर्व से शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत के साथ जगह- जगह  गांव के बंगला पर लौंडा नाच भी खूब होता है. जबकि ललित झा बंगला पर वाराणसी के कलाकारो की ओर से शास्त्रीय संगीत की सुर निरंतर बिखेरी जाती रहती है. शास्त्रीय संगीत को रंग देने के लिए  बनारस घराना से कलाकार आते रहे है. लेकिन अब विडम्बना है की संत लक्ष्मीनाथ गोसाई की घुमौर होली की परम्परा को बरक़रार रखने वालो की जरुरत है. होली के दिन वास्तव में हिन्दू-मुस्लिम का भेद नहीं रहता है.   
राजनीतिक रूप से भी लाभ पाने के लिए खासकर होली मे जनप्रतिनिधि बनगांव मे होली मनाना चाहते है और ऐसा मौका गवाना नहीं चाहते है। इस वजह से भी होली की रौनक बढ़ी रहती है॰ होली मनाने के लिए सांसद और विधायक तक पहुचते तो है, मगर उनको इस दिन आम लोगो से ज्यादा तबज्जो नहीं मिल पाती है॰ कहने का मतलब होली मे न कोई छोटा और न कोई बड़ा होने जैसा दिखता है॰ अंत मे यही कहूँगा...बुरा ना मानो होली है॰ होली है, भाई होली है, रंग-गुलाल  की होली है॰...  जोगिरा, सारा,रारा रा... जोगिरा, सारा,रारा रा...जोगिरा, सारा,रारा रा...जोगिरा, सारा,रारा रा...