Monday, October 19, 2015

नवरात्रा में मिथिलांचल की अनूठी नगर संकीर्तन परम्परा

  समस्त जीव व मानव कल्याण की कामना का उदेश्य

                      वर्ष 1952 में रखा गया था नगर संकीर्तन के इस अनूठी परंपरा की नींव

परंपराओं की धरती मिथिलांचल के शहर सहरसा में नवरात्रा के अवसर पर नगर संकीर्तन की एक अनूठी व धार्मिक परंपरा रही है. नगर संकीर्तन की इस अनूठी परंपरा की नींव स्व. अश्वनी कुमार लाल दास, स्व.कुलेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव व स्व. भैड्नी लाल शर्मा ने वर्ष 1952 में रखा था. देश भर में शक्ति की देवी माँ दुर्गा कीपूजा होती तो है, लेकिन मिथिलांचल के सहरसा में संगीत-संकीर्तन के जरीये जागृति करने एक अपनी मिसाल है.  अब इस परम्परा का निर्वहन कायस्थ टोला के तीसरी पीढ़ी के युवा कर रहे हैं. जिसका नेतृत्व रमेश झा महिला महाविद्यालय के डॉ. गिरिधर श्रीवास्तव पुटिश करते आ रहे है. डॉ. गिरिधर श्रीवास्तव पुटिश तबला वादक हैं और संगीत कला क्षेत्र के चर्चित शख्सियत हैं. नगर संकीर्तन का उदेश्य समस्त जीव व मानव के कल्याण के साथ-साथ जगत की शांति की कामना है.
नगर संकीर्तन करते कलाकारों की मंडली                                        
      





  नगर संकीर्तन का क्या है स्वरुप
 "शारदीय नवरात्रा" के शुभ उपलक्ष्य पर अहले सुबह से ही सांस्कृतिक व धार्मिक भावना रखने वाले युवाओं की मंडली ढोलक, झाल-मंजीरा,बांसुरी और हारमोनियम की मनमोहक स्वरध्वनि के संग नगर भ्रमण को निकल पड़ते हैं. युवओं की यह संगीत मंडली रामधुन महामंत्र गान की धार्मिक स्वरध्वनि "हरे राम, हरे राम,राम-राम हरे-हरे, हरे कृष्ण,हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे।।" की धुन से सम्पूर्ण इलाका सराबोर हो जाता है. राम-नाम की धुन से सम्पूर्ण शहर के मुहल्लो का वातावरण भक्तिमय हो जाता है. युवाओं की मंडली व भक्तजन माँ दुर्गा की अराधना कर जगत की सुख-शान्ति, समृद्धि की कामना करते हैं.


कैसे होती है नगर संकीर्तन  
63 साल पूर्व नगर परिषद् क्षेत्र के कायस्थ टोला से ही इस परंपरा की शुरूआत हुई है. हरेक साल की भांति इस साल भी चित्रगुप्त नगर कायस्थ टोला से नगर संकीर्तन शुरू होकर कायस्थ टोला के जगतपुर मुहल्ला, भगवान लाल गोला, कालेज गेट दुर्गा स्थान, प्रशांत चित्रालय दुर्गा मंदिर,  रेलवे कॉलनी पूर्वी दुर्गा मंदिर होते हुए झपड़ा टोला के गहबर दर्शन, दक्षिणेश्वर काली मंदिर  आदि देव स्थलों तक जाती है. नगर संकीर्तन की यह मंडली पुन: शुभारम्भ स्थल पहुँच कर  कीर्तन को विराम दिया जाता है. नगर संकीर्तन मंडलियो का मानना है की प्रातः कालीन राग में निबद्ध धुन समाज को बेहतर सबेरा व शुभ-शान्ति का संदेश प्रदान करती है.

                                                                                  नगर संकीर्तन की मंडली 

करीब 63 साल पहले धार्मिक विचारों के साधको के प्रयास से शुरू की इस नगर संकीर्तन की परम्परा को तबला वादक डॉ. गिरिधर श्रीवास्तव पुटिश के नेतृत्व में आगे बढाने का प्रयास अब तक जरी है. नगर संकीर्तन मंडली शहर के सभी प्रमुख दुर्गा मंदिरों में पहुच कर भजन-कीर्तन कर मैया की आराधना करते है. इस मंडली में पांचू लाल दास, शिवभूषण सिन्हा, राजकुमार सिन्हा, रामप्रवेश शर्मा, किशोर दास, लखन कुमार दास, कुंदन शर्मा, रामदेव शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, बीजो शर्मा आदि प्रमुख रूप से शामिल होते है.