बंदरो के आतंक से किसान परेशान
करीब 25 गाँव के किसानों का खेती प्रभावित
बंदरों के बढ़ते
उत्पात से आजीज सहरसा जिले के दो प्रखंडों के करीब 25 गाँव के किसानों ने अब खेती
नहीं करने का मन बना लिया है. इसके बावजूद जिला प्रशासन एवं वन विभाग इन बंदरों के
उत्पात पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है. जब कि ग्रामीण
किसानों ने सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री से मिलकर बंदरों के उत्पात से निजात
दिलाने की व्यवस्था करने की मांग भी किया था. परंतु उक्त मांग अब भी अधूरा ही है.
बतातें चलें कि
जिले के सिमरीबख्तियारपुर एवं कहरा प्रखंड के तेघरा, बलही, बरषम , चैनपुर , पड़ड़ी , बनगावं दोनों पंचायत , बरियाही , देवना गोपाल , बलहा-गढिया के
करीब 25 गाँव के किसान बंदरों के आतंक से परेशान हैं. बंदर इन गावं के खेतों मे
लगी फसलों को तहस-नहस कर दिया करता है. कभी खेतों में लगी धान की फसल की बाली को
बीच से हीं सुरक कर बर्बाद कर देती है तो कभी आलू व गेहूं की बोआई को भी पूरा नहीं
होने देता है. बंदर खेतों में लगी फसल के बीज को मिट्टी से निकालकर खा जाता है.
इतना हीं नहीं बंदरों के आतंक से ग्रामीण महिलाएं भी काफी परेशान रहती है।
महिलायें घर में रोटियां बनाते रहती है और बंदर लेकर भाग खड़ा होता है. घर की
महिलायें खाना बनाने के वक्त बगल में लाठी लेकर बैठती है तब जाकर खाने का सामान
सुरक्षित रह पाता है. बंदरों के आतंक से निबटने के लिए प्रभावित गाँव के किसान को
अपने-अपने खेतों में मचान बनाकर दिन में भी पहरेदारी करते हैं. किसान आपस में
मिलकर चारों तरफ से बंदरों के झुंड को घेर कर खदेरने का काम करते हैं तभी बंदर
भागते हैं. इसके बावजूद इन इलाकों में फसल सुरक्षित नहीं रह पाती है. जिसके कारण
अब इस इलाके के किसान खेती नहीं करने का मन बना लिए हैं. बदंर के आतंक से करीब
हजारों एकड़ भूमि में लगने वाली फसल प्रभावित हो रही हैं. इलाके किसानों के समक्ष
अब जीवन-मरण का सवाल उत्पन्न हो गया है. अब किसानों के समझ में यह नहीं आ रहा है
कि क्या करें और क्या न करें. इलाके के किसानों का कहना है कि ऐसी परिस्थिति में
हम किसानों के समक्ष आत्म-हत्या के सिवाय दुसरा कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है.
बंदरों के उत्पात
से निबटने और जिला प्रशासन व सरकार को जगाने के लिए फसल बचाओ-मंकी पार्क बनाओ
नारों के साथ कोशी किसान संघर्ष समिति के संयोजक विभूति कुमार सिंह के नेतृत्व में
किसानों की एक समिति का गठन किया गया है. बंदरों के आतंक से इन इलाकों में दिन-रात
आतंक का माहौल कायम रहता है.
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