Wednesday, July 6, 2011

29 अगस्त कांति में कोसी के बलिदानियो की गाथा

अगस्त कांति में कोसी के बलिदानियो की गाथा 


                                 जरा याद करो कुरबानी
अंग्रेजों भारत छोड़ाे आंदोलन में कोसी क्षेत्र के महानायकों की कुर्बानी को नजरअंदाज कर आजादी की कल्पना करना बेमानी हीं कहा जा सकता है. अगस्त क्रांति में कोसी के जवानों ने पीठ में नहीं बल्कि सीने में गोली खाकर बलूची सेना को खदेड़ने का काम किया था.इन अमर शहीद जवानों की दास्तान सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि जिस कोख से और जिस वंश में ये अमर  शहीद   पैदा लिए आज उसका हाल जानने वाला तक कोई नहीं है. अमर  शहीद   के परिजन आज सिर्फ तंगहीन हीं नहीं है ये समाज के मुख्य धारा से बिल्कुल अलग-थलग पड़ चुके हैं. इन अमर शहीदों की स्मृति में सहरसा के तत्कालीन विधायक संजीव कुमार झा ने चांदनी चौक पर स्मारक निर्माण करवाकर सम्मान जरूर किया है. लेकिन जिला प्रशासन व सरकार की उपेक्षा आज भी बरकरार है.
  -:कोसी की शहादत को कम नहीं आंका जा सकता:-
 1942 भारत छोड़ाे आंदोलन में कोसी की शहादत को कम आंका नहीं जा सकता है. कोसी में 29 अगस्त की क्रांति की लौ ने पुरी उत्तरी बिहार को उÌेलित कर दिया था और इस अगस्त क्रांति के कोसी के महानायक धीरो राय-एकाढ,हीरा कांत झा-बनगॉंव, पुलकित कामत-बनगॉंव,भोला ठाकुर-चैनपुर,काले’वर मंडल-बलहा,केदारनाथ तिवारी-नरियार,चुल्हाय यादव-मधेपुरा,बाजा साह की याद में एक अदद स्मारक व संग्राहलय भी क्षेत्रीय जनप्रतिनि-िध सहित सरकार व जिला प्रशासन ने बनवाना मुनासिब नहीं समझा. कोसी के इन महानायकों ने अंग्रेज व बलूची सिपाहियों को पुरातन हथियार ढेलौरी, लाठी, भाला, गरासा, फरसा, तलवार एवं मात्र दस-पन्द्रह नाल बंदूकों के दम पर हीं खदेड़ देने वाले इन शहीदो को 15 एवं 29 अगस्त ऐसे मौके पर भी शायद ही नमन किये जाते हैं.
-:स्वतंत्रता आंदोलन का केन्द्र था सहरसा:-
सहरसा जिला 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र था और इस क्षेत्र में आंदोलनकारियों ने करीब दो महीने तक अंग्रेजी शासन-सत्ता को मिटा कर अपना शासन कायम कर लिया था. बाद में अंग्रेजी सैनिक दस्ता सहरसा में उतारा गया. अंग्रेजों के इसी सैनिक दस्ता के साथ कोसी के महानायकों धीरो राय,चुल्हाय यादव,हीराकांत झा,पुलकित कामत, भोला ठाकुर, काले’वर मंडल, केदारनाथ तिवारी के नेतृत्व में हजारों युवक सहरसा में एकत्रित हो गये और सहरसा रेलवे स्टेशन के समीप हीं दोनों ओर से जवाबी कार्रवाई में अपने प्राणों की आहुति देकर अंग्रेज व बलूची सिपाहियों को लोहे की चना-चबाने को मजबुर कर दिया.
-:क्रांतिकारियों का योगदान:-  
अगस्त क्रांति के इन महानायकों के साथ हजारों की भीड़ में गणेश झा,बलभद्र झा , रमेश झा , महादेव मंडल, नुनू लाल मंडल, शोभा कांत झा मिश्र, छेदी झा द्विजवर, रामनारायण खॉं, बुच्ची झा,अवध नारायण खॉं, मौजे लाल खॉं, रमानंद झा आदि क्रांतिकारियों का योगदान कोसी के इतिहास के लिए गवाह है.
   


    




No comments:

Post a Comment