तटबंध की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्परों पर लाखों की राशि खर्च कर जल संसाधन विभाग जहां बाढ सुरक्षा की गारंटी कर रही है वहीं नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र अवस्थिति पूर्वी कोसी तटबंध के 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मोहनपुर पंचायत के मिसरौलिया, परसबन्नी चाही के एक दर्जन परिवार अपने बाल-बच्चा समेत माल-मवेशि के साथ शरण लिए हुए है...
संजय सोनी/सहरसा: कोसी नदी में जल का स्तर काफी घटता नजर आ रहा है। मुख्य कोसी नदी की धारा भी मध्य नदी भाग में भी कोई खास हलचल पैदा नहीं कर रही है। मंथर गति से गरजते हुए कोसी नदी दक्षिण दिशा की तरह नवहट्टा से आगे बढकर महिषी, राजनपुर होते हुए सलखुआ के रास्ते कुरसेला में बहन गंगा से गले मिल रही है। ऐसा लगता है कि कोसी मैया हम सबों को संभलने के लिए एकाध सप्ताह की मौहलत दे रही है। अभी बाढ का करीब ढाई महीना समय शेष है। 31 अक्टूबर के बाद ही जल संसाधन विभाग को भी फुरसत मिलने जा रही है। 5 अक्टूबर 1968 को कोशी नदी में 9 लाख 13 हजार क्यूसेक एवं बराह क्षेत्र 7 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक जल निस्सरण का अधिकतम रिकार्ड रहा है। इसलिए ऐसा नहीं समझा जाय कि बाढ़ का समय कट गया है। वैसे भी मौसम विभाग बारिश की संभावनाओं का संदेश आम लोगों को देना बंद नहीं की है।
पूर्वी कोसी तटबंध व तटबंध
की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्परों पर लाखों की राशि खर्च कर जल संसाधन विभाग जहां
बाढ सुरक्षा की गारंटी कर रही है वहीं नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र अवस्थिति पूर्वी
कोसी तटबंध के 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मोहनपुर पंचायत के
मिसरौलिया, परसबन्नी चाही के एक दर्जन परिवार अपने बाल-बच्चा
समेत माल-मवेशि के साथ शरण लिए हुए है। अभी कोसी नदी में जो जल वृद्धि हुई थी
उसमें ऐसे ही कुछ स्परों में 78.60,78.30,
74.00 एवं 64.95, 81.00 सहित कई अन्य स्परों पर नदी की धारा का भीषण दवाब
बना हुआ था। इन स्परों को बचाने के लिए लाखें की राषि को पानी की तरह बचाया गया और
उसी जगह 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मवेशियों के साथ लोग रह
रहे हैं जो ताज्जुब की बात है। अगर कोसी नदी के जल स्तर में वृद्धि होती है तो नदी
की धारा को तटबंध से सटने में कुछ घंटे का भी वक्त नहीं लगेगा और स्पर की नोज को
खंगालते हुए स्पर को क्षतिग्रस्त कर देगी और तटबंध पर आसानी से नदी की धारा अटैक
कर देगी। यहीं कहा गया है आ बैल मुझे मार।
बतादें कि फतेह खां स्पर पर
बाढ की पहली तबाही पहली अगस्त को ही सुगमिया देवी, बीएन देवी, अकबरी बेगम, राम प्रसाद खिरहर, राधे खिरहर, सिकन्दर खिहर, महेन्द्र यादव, योगेन्द्र यादव, राजेन्द्र यादव,
राम प्रबोध यादव, रामदेव यादव, दिलिप यादव आदि परिवारों ने कहा कि हम सभी पूर्वी
कोसी तटबंध के अंदर मोहनपुर पंचायत के गांव मिसरौलिया व परसबन्नी चाही पर रहते थे।
इस साल पहली अगस्त को बाढ आने के कारण यहां षरण ले लिये हैं। इन सबों को ये भी पता
है कि स्परों पर षरण लेना जुर्म है , फिर भी आश्रय स्थल नहीं होने
से शरण लेना मजबूरी हो गया है। इन लोगों ने कहा कि अब तक किसी प्रकार की बाढ राहत
प्राप्त नहीं हो सकी है। बाढ राहत के बिना हम सबों की परेशानी दोगुनी हो गयी है।
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