Tuesday, October 22, 2019

शौक के पिंजड़े में कैद हो रहा तोता, आखिर कैसे होगा तोता हीरामन मुक्त

शौक के पिंजड़े में कैद हो रहा तोता, आखिर कैसे होगा तोता हीरामन मुक्त

-बाग-बगीचा एवं जंगलों से बहेलिया शिकार कर पहुंचाते हैं शौकियों के पिंजड़े तक 
-अक्सर धान के सीजन में बहेलिया प्रजनन करने वाले वयस्क तोता को -जाल में फांस कर शहर के बाजारों में घूमघूमकर खोमचा में करते बिक्री -रेड स्पोटेड तोता प्रतिबंधित ट्रेड के साथ-साथ जाल में फंसाना कानून अपराध 
-शिडयूल फोर में 7 साल की सजा एवं 10 हजार रूपए जुमाना का है प्रावधान


संजय सोनी/सहरसा 

पिंजड़े में ताेता पालने वालों की तायदाद दिन-प्रतिदिन बढते ही जा रही है और खुले आसमान और बाग-बगीचे में विचरण करने वाला तोता को पिंजड़े में कैद कर दिया जाता है। इस कारण तोता पक्षी की भी आबादी धीरे-धीरे कम होते जा रही है। जबकि तोता का प्रजननकाल माह फरवरी से अप्रैल के बीच होता है। प्रजनन के बाद से ही बहेलिया बाग-बगीचा एवं जंगलों में शिकार कर शौकियों के पिंजड़े तक पहुंचा देते हैं। तोता पक्षी को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शामिल नहीं किए जाने को लेकर इसके अच्छे प्रजातियों की व्यापक पैमाने पर तस्करी का भी धंधा जोरों पर चलता है। 
सड़क किनारे एवं खोमचा में खुलेआम बिकता है तोता- 
अक्सर धान के सीजन में बहेलिया प्रजनन करने वाले वयस्क तोता को जाल में फांस कर शहर के बाजारों में घूमघूमकर खोमचा में तोता बिक्री करने लगे हैं। 
वैसे सड़क किनारे से लेकर खोमचा तक तोता की बिक्री अमूमन सालों भर की जाती है। तोता बिक्री करने वाले को क्या पता की अब यह तोता पक्षी भी कुछ दिनों बाद अनजान हो जाएगी। तोता के साथ भी अन्याय होने लगी है। पहला घरेलू एवं पालतू पक्षी होने की वजह से तोता भी विलुप्ति के कगार पर जल्द हीं पहुंचने वाली है। इसका मुख्य कारण यह है की पर्यावरणविदों के नजरो में इसकी सुरक्षा की कोई चिंता नहीं रह गयी है। कोसी क्षेत्र के इलाकों में व्यापक पैमाने पर धान की खेती होती है। इस वजह से इन इलाकों में तोते की खासकर छोटे प्रजातियां खूब पायी जाती है। 
कोसी एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में तोता की प्रजाति- 
कोसी एवं नेपाल के तराई क्षेत्रों में मदन बेला, काग बेला,गरार, टिया, काश्मिरी, हीरामन छोटकी, हीरामन पहाड़ी, सुद्दी एवं करणा आदि अधिक पायी जाती है। इन प्रजातियों में सबसे लोकप्रिय हीरामन पहाड़ी है। इस कारण बहेलिया आसानी पूर्वक इसका शिकार कर बाज़ारों में खुलेआम बिक्री करते हैं। न कोई प्रतिबंध और न कोई कानूनी खतरा। लिहाजा धड़ल्ले से तोते की शिकार एवं बिक्री हो रही है। बेचने वालों को क्या मतलब खरीददार पाल सकेगा या नहीं। इस दिशा में वन्य एवं पक्षी प्रेमियों को ख्याल रखने की सख्त जरुरत है, अन्यथा अन्य पक्षियों की तरह तोता भी विलुप्त पक्षी की श्रेणी में आ जाएगी और हमारा समाज चर्चित गीत इक डाल पे तोता बोले और इक डाल पे मैना बोलो हैना गाते ही रह जाएंगे। 
तोते का ट्रेड एवं जाल में फंसाना प्रतिबंधित- 
देश में 5 प्रकार का तोता पाया जाता है। जिसमें कोसी के ईलाके में सर्वाधिक रूप से रेड स्पोटेड तोता पाया जाता है। इन तोता का प्रतिबंधित ट्रेड के साथ-साथ जाल में फंसाना कानून अपराध है। शिडयूल फोर 7 साल की सजा एवं 10 हजार रूपए जुमाना का प्रावधान है। वन विभाग इसके लिए टीम गठित कर तोता का ट्रेड करने और जाल में फंसाने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करेगी। 
-शशिभूषण झा, डीएफओ, सहरसा।

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