Friday, August 18, 2017

अमानवीय जीवन शैली से समाज और सरकार का पहले आत्मसमर्पण: मणि


अमानवीय जीवन शैली से समाज और सरकार 

का पहले आत्मसमर्पण: मणि
समाज और सरकार ने अमानवीय जीवन शैली से पहले आत्मसमर्पण किया है। आज भी बिहार के 26 जिलों में बाढ़ आयी है और हम बाढ़ में रह रहे हैं। वे बोले कि 9 साल पहले भी कोशी में 18 अगस्त को विनाशकारी बाढ़ आयी थी। उन्होंने बाढ़, भूमि व सामाजिक शांति की दिशा में कोई नयी रणनीति को अपनाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आवासीय चिंतन शिविर आयोजन करने को कहा...
पटना: राजधानी पटना के कदमकुंआ क्षेत्र के कांग्रेस मैदान अवस्थित "बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि" के सभा कक्ष में बाढ़ के बाढ़ के अनुभव, स्थाई समाधान एवं बाढ़ सह जीवन विषयक एक दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को किया गया । “स्वराज बिहार” के साथियों व कार्यकर्ताओं के साथ कंसोर्टियम के संयोजक भगवानजी पाठक के संचालन व जेपी आंदोलन के सिपाही रहे अनिल गुप्ता की अध्यक्षता में आहूत इस विचार गोष्ठी को देश के चर्चित पर्यावरणविद सह पश्चिम नदी घाट बचाओ आंदोलन के प्रणेता कुमार कलानंद मणि ने बाढ़ नियंत्रण के सवाल पर अपने सारगर्भित वक्तव्य में समाज व सामाजिक कार्यकर्ताओं को न केवल आगे आने को कहा बल्कि यह भी कहा कि1 9 50 के बाद से किए गए सभी वैज्ञानिक उपाय बाढ़ को नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं और अब बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में है। यह स्पष्ट है कि समाज और सरकार ने अमानवीय जीवन शैली से पहले आत्मसमर्पण किया है। 




आज भी बिहार के 26 जिलों में बाढ़ आयी है और हम बाढ़ में रह रहे हैं। वे बोले कि 9 साल पहले भी कोशी में 18 अगस्त को विनाशकारी बाढ़ आयी थी। उन्होंने बाढ़, भूमि व सामाजिक शांति की दिशा में कोई नयी रणनीति को अपनाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आवासीय चिंतन शिविर आयोजन करने को कहा। इस मौके पर प्रो. प्रकाश ने भी बाढ़ के साथ-साथ नदियों व तालाबों के भूमाफियाओं के द्वारा दखल-कब्ज़ा पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि नदियों के मार्गों पर पहले अतिक्रमण और फिर बिक्री आखिर ये क्या हो रहा है। इस दिशा में भी समाज व सरकार सोयी हुई है। रंजीव ने भी कहा की इस साल की बाढ तटबंध टूटने से नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। बारिश से कभी इस तरह की भीषण बाढ़ नहीं आती थी।     

इसके बाद स्वराज बिहार के कार्यकर्ताओं के साथ भी बैठक किया। बैठक में प्रो. प्रकाश, रंजीव, मक़बूल भाई, मंसूर आलम, पंचम भाई, सत्यनारायण भाई, शाहजहां साज, योगेंद्र, जानकी, असर्फी सिंह, सुनीता,पृथ्वी सिंह, रमेश कुमार, खूबलाल भाई आदि ने प्रमुख रूप से हिस्सा लिया। इस आयोजन में बिहार व झारखंड के विभिन्न जिलों से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। गोष्ठी में कुसहा त्रासदी के नौ साल पर भी चर्चा किया गया और कुसहा बाढ़ एवं वर्तमान बाढ़ में अकाल मौत को गले लगाने वालों के प्रति दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धाजंलि अर्पित किया गया।

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