Sunday, November 5, 2017

लैंगिक हिंसा के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान पकड़ा जोर




लैंगिक हिंसा के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान पकड़ा जोर


 

प्रभात.पटना: भूमिका विहार, एनएसएस एवं श्रो अरविंद महिला कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान मे कनाडा एम्बेसी के सहयोग से शुक्रवार 3 नवंबर को जेंडर सेल का गठन व लैंगिक हिंसा के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत श्रो अरविंद महिला कॉलेज पटना में भी किया गया। इस अवसर पर जेंडर सेल का गठन, जेंडर आधारित नुक्कड़ नाटक का मंचन, जेंडर आधारित रैम्प वॉक व जेंडर आधारित लोक गीत भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में कॉलेज के जेंडर यूथ स्पीकर्स एवं 200 से अधिक छात्राओं ने भाग लेकर जागरूकता की मुहर लगा दिया।

 इस मौके पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित व प्रसिद्ध लेखक डॉ. शिवनारायण ने लिंग भेदभाव के नीव की आधार परिवार में ही बनती है। उन्होंने कहा कि आपके आचरण का ही नक़ल आपका संतान करता है और लिंग भेदभाव के आचरण से अपने बच्चों को आज बचने की जरुरत है। 
जबकि पदमश्री व लेखक उषा किरण खान ने कहा कि वर्तमान समय में हम समाज में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकते। यह पूर्व की कुप्रथा है जो कुछ लोग ढो रहे हैं। लैंगिक समानता हमारी सोच को दर्शाती है और ऐसा कहीं नहीं लिखा गया है कि महिलाओं के साथ हम भेदभाव करें। अब सरकार भी लगातार सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ कार्य कर रही है। दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। लैंगिक भेदभाव भी एक सामाजिक कुरीति है जिसे हमसबों को जड़ से मिटाना ही होगा।  
श्रो अरविंद महिला कॉलेज की प्राचार्य डॉ.पूनम चौधरी ने स्वागत भाषण में अपना विचार प्रकट करते हुए कहा कि जेंडर हमारे समाज की पुरानी मानसिकता का परिचायक है जहाँ स्त्री व पुरुष के अलग-अलग भूमिका बताई जाती है। लेकिन इस कॉलेज में ऐसी सोच की कोई जगह नहीं है और हम सभी को बराबरी की नजरों से ही देखती हूँ। कॉलेज के एनएसएस अधिकारी रीता सिंह ने एनएसएस द्वारा किए जा रहे कार्यो के बारे में जानकारी दी और सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम मे आगे बढ़कर समाज मे सहयोग करने की बातें कही। कॉलेज मे लगातार पौधारोपन, रैली और खेलकुद जैसे कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कही कि छात्राओं में शिक्षा के साथ सामाजिक जिम्मेवारी की भावना जगाना आवश्यक है और एनएसएस के कार्यक्रम इस दिशा में प्रमुख हथियार साबित हो रही है। इस मौके पर भूमिका विहार की निदेशक शिल्पी सिंह, एडवोकेसी इंचार्ज आशीष कुमार एवं माया शंकर ने भी अपने विचार प्रकट किये।


Tuesday, October 17, 2017

विश्व प्रसिद्ध संगीत कम्पनी मोक्ष म्यूजिक की अनुपम भेंट:एक प्रेमिका अपने प्रेमी की याद में गा रही है और कह रही है कि “मोरा पिया के बिना जिया लागे ना"।

दिल्ली में आयोजित की गई पिया के बिना लागे न जिया’ की शानदार स्क्रीनिंग

डॉ, हरिओम उत्तर प्रदेश के वही आईएएस ऑफिसर हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में अपने कार्यकाल के दौरान जेल में डाल दिया था और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही डॉ. हरिओम को कार्यभार से हटा दिया था। डॉ.हरिओम की जोड़ी इससे पहले भी कई गाने दे चुकी है जिनमे यारा वे, मजबूरियाँ, सोचा न था ज़िन्दगी आदि प्रमुख है...
मेघा वर्मा, दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध संगीत कम्पनी मोक्ष म्यूजिक का मोस्ट अवैटेड गाना “पिया के बिना लागे न जियाविश्व स्तर पर 14 अक्टूबर को भव्य अनावरण किया गया। नई दिल्ली स्थित डॉलीवुड टैलेंट क्लब में शानदार रूप से आयोजित इस रिलीज़ इवेंट शो में चर्चित आईएएस ऑफिसर डॉ. हरिओम के द्वारा गाने को गाया गया। जिसमें “पिया के बिना लागे न जिया” की शानदार स्क्रीनिंग की गयी। इस मौके पर संगीतकार राज महाजन व गायक डॉ.हरिओम के साथ गाने की मुख्य अभिनेत्री अजिता झा भी प्रमुख रूप से मौजूद थीं। इस गाने के बारे में संगीतकार राज महाजन का कहना है कि यूथ को फोकस करते हुए इस गाने को बनाया है। डॉ.हरिओम ने इस गाने को तहेदिल से गाया है। वहीँ इस बारे में गाने के सिंगर डॉ.हरिओम ने कहा कि जब मैंने प्रथम दफा गाने की डमी को सुना तो ऐसा लगा कि मेरे लिए ही बना है। सही मायने में यह बहुत ही बेहतरीन गाना है। गाने का म्युज़िक एल्बम भी बहुत शानदार है। अजिता झा इसमें काबिल-ए-गौर अभिनय की है।
अपनी अनुभव के बारे में अभिनेत्री अजिता ने कहा वाकई में इस गाने पर काम करके बहुत ही अच्छा लगाएक चीज़ जो मुझे बहुत भायी वह थी इसकी थीमएक किस्म का फ्यूज़न है इस गाने मेंराज महाजन सर ने बहुत ही सूदिंग ट्रैक बनाया है। राज सर को मैं थैंक्यू बोलना चाहूँगी जिन्होंने मुझे इस गाने का हिस्सा बनायाआपको बता दें कि इस म्युज़िक एल्बम में राज महाजन एक नए फ्लेवर में नजर आये तो वहीँ हरिओम भी इस गाने में राज के साथ स्क्रीन शेयर करते दिखे। इसके साथ ही शुभम गुप्ता, मितुल कौशिक एवं ऋषभ शर्मा ने भी अपना-अपना काम बखूबी निभायापहली बार विश्व प्रसिद्ध संगीत कम्पनी मोक्ष म्यूजिक ने एक साथ दो और गानों की स्क्रीनिंग कीजहाँ ‘तेरी हर अदा’ की स्क्रीनिंग की गयी तो दूसरी तरफ वहीँ अपने आने वाले गाने “सोचा न था” की एक झलक दिखाईइस मौके पर सोचा न था का टीज़र रिलीज़ किया गयाबहुत जल्द ये गाना भी वैश्विक स्तर पर रिलीज़ किया जाएगातेरी हर अदा नवोदित सिंगर शुभम गुप्ता को राज महाजन की तरफ से दिया हुआ एक रिवॉर्ड हैशुभम की गायकी से अभिभूत होकर राज महाजन ने उन्हें ये मौका दियासोचा न था को अपनी आवाज़ से मन्दाकिनी बोरा ने सुन्दर बनाया हैडॉ, हरिओम उत्तर प्रदेश के वही आईएएस ऑफिसर हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में अपने कार्यकाल के दौरान जेल में डाल दिया था और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही डॉ. हरिओम को कार्यभार से हटा दिया थाडॉ.हरिओम की जोड़ी इससे पहले भी कई गाने दे चुकी है जिनमे यारा वे, मजबूरियाँ, सोचा न था ज़िन्दगी आदि प्रमुख है
मोक्ष म्यूजिक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एडिटर चेतन चौधरी ने कहा है कि “मोरा पिया के बिना जिया लागे ना” बहुत ही प्यारा गीत है और इसे अपनी प्यारी और सुरीली आवाज में पोपुलर सिंगर व आईएएस ऑफिसर डॉ. हरिओम और सबके चहेते और जाने-माने सिंगर, एक्टर, म्यूजिक डायरेक्टर राज महाजन जी ने अपनी संगीत से जीवंतता प्रदान किया हैइस गाने को एक प्रेमिका अपने प्रेमी की याद में गा रही है और कह रही है कि “मोरा पिया के बिना जिया लागे ना"। उन्होंने यह भी कहा है कि यह गाना मेरे दिल के बहुत करीबी हैआशा है कि यह आप सबों के दिलों को भी छूएगा"बहुत लोकप्रिय प्रेम दुख की बात है" मोरा पिया के बिना जिया लागे ना "आपकी आत्मा को स्पर्श करेंगे” 



Tuesday, October 3, 2017

“दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता अभियान

दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता अभियान

मुखिया रामनाथ पांडे ने अपना उद्दगार व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज प्रथा के कारण ही समाज मे बेटियों को जन्म से पहले ही कोख में ही खत्म कर दिया जाता है। लोग भगवान का दिया बेटियों जैसा अनमोल ऊपहार को भी लेने से इंकार कर देते हैं तो ऐसे लोगो को बुरे वक़्त मे भगवान भी मदद नहीं करता है...

कटिहार: दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए गाँधी जयंती के अवसर पर सामाजिक संस्था भूमिका विहार कटिहार, की ओर से रामपुर गाँव में एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर रामपुर के मुखिया रामनाथ पांडे ने अपना उद्दगार व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज प्रथा के कारण ही समाज मे बेटियों को जन्म से पहले ही कोख में ही खत्म कर दिया जाता है। लोग भगवान का दिया बेटियों जैसा अनमोल ऊपहार को भी लेने से इंकार कर देते हैं तो ऐसे लोगो को बुरे वक़्त मे भगवान भी मदद नहीं करता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह समाज के सम्पूर्ण विकास मे बाधक है। जब तक हम दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे बुराइयों पर विजय नहीं पाते हैं तब तक  हमारा समाज खुशहाल नहीं हो सकेगा।
भूमिका विहार के कार्यकर्ता हेमंत कुमार ने इस कार्यक्रम की अहमियतता को बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम के द्वारा समाज में विभिन्न समुदाय के लोगो के बीच जागरूकता लाकर ही दहेज प्रथा एवं बाल विवाह पर अंकुश लगाया जा सकता है। अभी दहेज़ प्रथा एवं बाल विवाह एक ज्वलंत मुद्दा है, जिस पर त्वरित कारवाई करना अत्यंत जरूरी है। दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे कुरीतियां कायम रही तो न जाने कितनी बेटियों को अपने प्राणों की आहुती देनी पड़ेगी। इस कुरीती से कितने परिवार की रौनक उजर चुकी है। इसके बावजूद यह समाज की ही नहीं इस देश की एक बड़ी समस्या बनी हुई है। दहेज विरोधी कई कानून बनाए जा चुके है, पर उनपर पूर्ण रूप से अमल नहीं होने से कई जगह तो इसे सामाजिक प्रतिष्ठा से जोरा जाता है कि ज्यादा दहेज दिया या लिया वह अच्छे घराने से माना जाता है। ऐसे परंपरा को हम सबों को मिलकर तोड़ना होगा और इस कुरीतियों को समाज से पहले अपने मन व सोच से बाहर निकाल फेकना होगा।
भूमिका विहार के अन्य कार्यकर्ता ने भी एक स्वर से कहा कि आज हिंसा का आसान शिकार एक लड़की को ही होना पड़ता है। चाहे वह दहेज प्रथा हो या बाल विवाह। लड़कियों को जन्म के पहले से ही हिंसा की शिकार होना पड़ता है। इस सोच का जन्म परिवार में ही हो जाता है। इसलिए जब तक एक-एक परिवार की सोच नहीं बदलेगी तब तक समाज में जागरूकता नहीं आ सकती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता संदेशहर परिवार मे जाएगी और साथ ही हमारे समाज मे भी एक अच्छा संदेश जाएगा।



बेटियों को कोख में मारने वालों के आँगन नहीं हो सकती ख़ुशी: बीबी नीलोफर

बेटियों को कोख में मारने वालों के आँगन नहीं हो सकती ख़ुशी: बीबी नीलोफर


जब तक एक-एक परिवार की सोच नहीं बदलेगी तो समाज में जागरूकता नहीं आ सकती है...

 उपेन्द्र यादव/अररिया: गाँधी जयंती के मौके अररिया के रामपुर पंचायत के कोडकतती गाँव में  सामाजिक संस्था भूमिका विहार के द्वारा दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम मे रामपुर पंचायत के मुखिया श्रीमती बीबी नीलोफर के आलावा भूमिका विहार के कार्यकर्ता विपिन कुमार सहित काफी संख्या मे ग्रामीण प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
रामपुर की मुखिया श्रीमती बीबी नीलोफर ने कहा कि इस दहेज प्रथा के चलते ही समाज मे बेटियों को कोख मे ही नहीं आने दिया जाता है। उसे जन्म से पहले कोख मे ही मार दिया जाता है। लोग भगवान का दिये उपहार को लेने से भी इंकार कर देते है तो ऐसे लोगो को बुरे वक़्त मे भगवान भी मदद नहीं करता। उन्होंने कहा कि बेटियों को कोख में मारने वालों के आँगन कभी भी ख़ुशी नहीं मिल सकती है। बाल विवाह समाज के सम्पूर्ण विकास मे बाधक है। जब तक हम दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे बुराइयों पर विजय नहीं पाते, हमारे समाज मे असली दशहरा की खुशी नहीं आएगी। इसलिए जब तक एक-एक परिवार की सोच नहीं बदलेगी तो समाज में जागरूकता नहीं आ सकती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता संदेशहर परिवार मे जाएगी और साथ ही हमारे समाज मे भी एक अच्छा संदेश जाएगा।
इस मौके पर भूमिका विहार के विपिन कुमार ने कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस आयोजन से समाज के विभिन्न समुदायों के बीच जागरूकता लाया जा सकता है। दहेज प्रथा एवं बाल विवाह एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसपर त्वरित कारवाई करना अत्यंत जरूरी है।

न जाने इस दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसे कुरीतियों मे कितने ही बेटियों की आहुतियां दी जा चुकी है और कितने परिवार की रौनक उजर चुकी है। दहेज विरोधी कई कानून होने के बाद भी पूर्ण रूप से अमल नहीं हो पाया है। कई जगह तो इसे सामाजिक प्रतिष्ठा से जोरा जाता है, जो बिल्कुल गलत है।

Monday, August 28, 2017

पं. सुरेश झा की स्मृति में बॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन

 पं. सुरेश झा की स्मृति में बॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन
स्व. झा सहरसा को सहरसा शहर बनाने की दिशा में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है और पत्रकारिता के क्षेत्र में इंडियन नेशन जैसी अंग्रेजी आखबारों के संवाददाता के रूप में भी निष्पक्ष, निर्भिक व जनपक्षीय पत्रकारिता के जरोये जनसेवा कर ख्याति अर्जित करने की भी एक इतिहास रही है...

सहरसा। जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के संस्थापक सदस्य सहित इंडियन नेशन के वारीय पत्रकार एवं कोशी क्षेत्र के महान विभूति पं. सुरेश झा की स्मृति में 29 अगस्त खेल दिवस के मौके पर बॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन 11 बजे दिन से मनोहर उच्च विद्यालय परिसर में होने जा रही है। इस बॉलीबॉल प्रतियोगिता के आयोजक भाजपा के युवा नेता शशि शेखर झा सम्राट ने तमाम खेल प्रेमी व आम शहरवासियों को प्रतियोगिता स्थल पहूंचकर आयोजक व खिलाड़ियों का हौंसला बढाने का सादर अनुरोध किया है।  
स्व. झा सहरसा को सहरसा शहर बनाने की दिशा में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है और पत्रकारिता के क्षेत्र में इंडियन नेशन जैसी अंग्रेजी आखबारों के संवाददाता के रूप में भी निष्पक्ष, निर्भिक व जनपक्षीय पत्रकारिता के जरोये जनसेवा कर ख्याति अर्जित करने की भी एक इतिहास रही है।
यह कहना गैर जरूरी है कि स्व. सुरेश झा मनोहर मध्य विधालय के संस्थापक प्रधानाध्यापक के साथ-साथ शहर अवस्थित मनोहर उच्च विधालय, सहरसा कालेज सहरसा वर्तमान में एमएलटी कालेज सहरसा, जिला स्कूल सहरसा, सहरसा गर्ल्स स्कूल एवं विधि महाविद्यालय सहरसा के बतौर संस्थापक सदस्य के रूप में न केवल विकास की सच्ची परिकल्पना को पूरा किया बल्कि शैक्षणिक जगत में इन संस्थानों को स्थापित करवाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान आज भी सराहनीय है। यह भी बतादें कि स्व. सुरेश झा भाजपा के युवा नेता भीआईपी रोड निवासी मणि झा के पुत्र शशिशेखर झा सम्राट के दादा जी हैं और भाजपा नेता श्री सम्राट अपने दादा स्व. सुरेश झा की स्मृति में खेल दिवस के अवसर पर आयोजन कर ऐसे सामाजिक व शैक्षणिक विद्वतजन के लिए एक नयी परम्परा की शुरूआत करने जा रहे हैं। परिवार के ऐसे सदस्य पर भी फक्र होनी चाहिए और समाज व परिवार के अन्य लोगों को भी अनुकरण करना चाहिए।



Friday, August 18, 2017

हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा, नहीं उठेगा


हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा, नहीं उठेगा

कष्ट चाहे जितनी हो, विचार हमारी नहीं मरेगी, आह हम नहीं भरेंगे...  
हां, चंदेश्वर ने उन शख्सियतों से इतना कुछ जरूर सीखा कि तहेदिल से कहता है कि आज भी गांधी, जयप्रकाश व बिनोबा के नाम पर कोई कार्यक्रम होता है तो अपने तनख्वाह से 500-1000 अधिक की राशि सहयोग करने की ताकत रखता हूं...
संजय सोनी/सहरसा: लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिनोवा भावे, शिवराज ढढा, दादा धर्माधिकारी, ठाकुर दास बंग, आचार्य राममूर्ति शरीखे लोगों के खिदमतगार रहे चंदेश्वर आज भी वैचारिक रूप से जितना मजबूत है आर्थिक रूप से उतना ही कमजोर पड़ गया है। आप सबों को लगता होगा कि आखिर ये कौन है चंदेश्वर?
70 वर्षीय वृद्ध चंदेश्वर महतो राजधानी पटना के कदमकुंआ क्षेत्र के कांग्रेस मैदान अवस्थित “बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि” पटना के आर्डरली पद पर कार्यरत और गया जिले के अतरी थाना क्षेत्र के गांव शेवतर का रहने वाला है। संस्था की तरफ से आज भी तनख्वा के रूप में महज 3 हजार रूपये ही किसी तरह मिलता है। जब चंदेश्वर 1962 में संस्था ज्वाईन किया था तो उस वक्त भी मात्र 40 रूपये महीना ही पगार के तौर पर दिया जाता था। श्री चंदेश्वर संस्था में पेट भरने नहीं बल्कि परिवर्तन की वैचारिक क्रांति से अभिभूत होकर इस लालच में कि कम से कम लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिनोवा भावे, शिवराज ढढा, दादा धर्माधिकारी, ठाकुर दास बंग, आचार्य राममूर्ति जैसे शख्सियतों से तो कुछ तो सीखने को मिलेगा। हां, चंदेश्वर ने उन शख्सियतों से इतना कुछ जरूर सीखा कि तहेदिल से कहता है कि आज भी गांधी, जयप्रकाश व बिनोबा के नाम पर कोई कार्यक्रम होता है तो अपने तनख्वाह से 500-1000 अधिक की राशि सहयोग करने की ताकत रखता हूं। उन्होंने एक जबर्दश्त बात यह कही कि मुझे अब तक समझ में नहीं आया कि आखिर सर्वोदय किसे कहते हैं। मेरी समझ में सर्वोदय कर मतलब सबों का उदय। लेकिन यहां तो सिर्फ व्यक्ति का ही उदय होता रहा है। उन्होंने कहा की आज भी सबों का एकसाथ उदय चाहने वाले व्यक्ति की जरुरत है। उन्होंने लोकनायक के साथ अपनी सेवा क्षण को याद करते हुए बोला कि जब जेपी सख्त बीमार थे तो मुझे शरीर दबाने का दायित्व सौंपा गया और बोला गया की जब गहरी नींद आ जाय तो छोड़ देना। लेकिन ऐसा मौका आते ही खुद कराह कर बोलते थे कि जरा इधर। जब उनकी इस कष्ट को मैने शरीर दबाकर महसूस किया तो औरों से कहा कि मुझे नदी में पानी डंगाने का काम मंजूर है पर, जेपी का कष्ट देखना मंजूर नहीं है। उनकी व्यथा देखकर मुझे लगा कि ईश्वर को इन्हें अब धरती पर नहीं रखना चाहिए। लेकिन सत्तालोपियों का कुनबा सिर्फ यही चाहते रहे कि जेपी बीमार हालत में भी रहे तो मेरा काम बन जाएगा। कहने का मतलब श्री चंदेश्वर ने स्पष्ट कहा कि जेपी के विचारों का सौदा करने वाले उस वक्त भी थे और आज भी है। तो भला इस गांधी स्मार निधि व उसके कर्मचारियों को कौन देखने वाला है।   

वे यह भी बोलते हैं कि 1974 के आंदोलन में “बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि” छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का मुख्य केन्द्र रहा है और यहां उन सबों के आलावा अमरनाथ भाई, कर्पूरी ठाकुर, नीतीश कुमार, लालू यादव, रामबलिास पासवान, सुशील कुमार मोदी, बिनोदा नंद झा, शिवानंद तिवारी जैसे लोगों का यह संस्था एक तरह से प्रशिक्षण केन्द्र रहा है। फिर भी इस संस्थान की खराब हालत पर कोई ध्यान नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इमेरजेंसी में इस संस्थान में पंछी तक रहना पसंद नहीं करता था तो भी चंदेश्वर ही रहा करता था। श्री चंदेश्वर ने बोला कि “हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा, नहीं उठेगा और अब भी कष्ट चाहे जितनी हो, विचार हमारी नहीं मरेगी, आह हम नहीं भरेंगे...। तो आज भी हम उसी मूलमंत्र को आत्मसात कर गांधी स्मारक निधि में सेवारत हैं।    

अमानवीय जीवन शैली से समाज और सरकार का पहले आत्मसमर्पण: मणि


अमानवीय जीवन शैली से समाज और सरकार 

का पहले आत्मसमर्पण: मणि
समाज और सरकार ने अमानवीय जीवन शैली से पहले आत्मसमर्पण किया है। आज भी बिहार के 26 जिलों में बाढ़ आयी है और हम बाढ़ में रह रहे हैं। वे बोले कि 9 साल पहले भी कोशी में 18 अगस्त को विनाशकारी बाढ़ आयी थी। उन्होंने बाढ़, भूमि व सामाजिक शांति की दिशा में कोई नयी रणनीति को अपनाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आवासीय चिंतन शिविर आयोजन करने को कहा...
पटना: राजधानी पटना के कदमकुंआ क्षेत्र के कांग्रेस मैदान अवस्थित "बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि" के सभा कक्ष में बाढ़ के बाढ़ के अनुभव, स्थाई समाधान एवं बाढ़ सह जीवन विषयक एक दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को किया गया । “स्वराज बिहार” के साथियों व कार्यकर्ताओं के साथ कंसोर्टियम के संयोजक भगवानजी पाठक के संचालन व जेपी आंदोलन के सिपाही रहे अनिल गुप्ता की अध्यक्षता में आहूत इस विचार गोष्ठी को देश के चर्चित पर्यावरणविद सह पश्चिम नदी घाट बचाओ आंदोलन के प्रणेता कुमार कलानंद मणि ने बाढ़ नियंत्रण के सवाल पर अपने सारगर्भित वक्तव्य में समाज व सामाजिक कार्यकर्ताओं को न केवल आगे आने को कहा बल्कि यह भी कहा कि1 9 50 के बाद से किए गए सभी वैज्ञानिक उपाय बाढ़ को नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं और अब बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में है। यह स्पष्ट है कि समाज और सरकार ने अमानवीय जीवन शैली से पहले आत्मसमर्पण किया है। 




आज भी बिहार के 26 जिलों में बाढ़ आयी है और हम बाढ़ में रह रहे हैं। वे बोले कि 9 साल पहले भी कोशी में 18 अगस्त को विनाशकारी बाढ़ आयी थी। उन्होंने बाढ़, भूमि व सामाजिक शांति की दिशा में कोई नयी रणनीति को अपनाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आवासीय चिंतन शिविर आयोजन करने को कहा। इस मौके पर प्रो. प्रकाश ने भी बाढ़ के साथ-साथ नदियों व तालाबों के भूमाफियाओं के द्वारा दखल-कब्ज़ा पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि नदियों के मार्गों पर पहले अतिक्रमण और फिर बिक्री आखिर ये क्या हो रहा है। इस दिशा में भी समाज व सरकार सोयी हुई है। रंजीव ने भी कहा की इस साल की बाढ तटबंध टूटने से नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। बारिश से कभी इस तरह की भीषण बाढ़ नहीं आती थी।     

इसके बाद स्वराज बिहार के कार्यकर्ताओं के साथ भी बैठक किया। बैठक में प्रो. प्रकाश, रंजीव, मक़बूल भाई, मंसूर आलम, पंचम भाई, सत्यनारायण भाई, शाहजहां साज, योगेंद्र, जानकी, असर्फी सिंह, सुनीता,पृथ्वी सिंह, रमेश कुमार, खूबलाल भाई आदि ने प्रमुख रूप से हिस्सा लिया। इस आयोजन में बिहार व झारखंड के विभिन्न जिलों से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। गोष्ठी में कुसहा त्रासदी के नौ साल पर भी चर्चा किया गया और कुसहा बाढ़ एवं वर्तमान बाढ़ में अकाल मौत को गले लगाने वालों के प्रति दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धाजंलि अर्पित किया गया।

Wednesday, August 16, 2017

प्रभारी मंत्री के सख्ती से बचाव व राहत कार्यों में जुटा प्रशासन




प्रभारी मंत्री के सख्ती से बचाव व राहत कार्यों में जुटा प्रशासन   
नवहट्टा प्रखंड के एक स्पर पर स्वास्थ्य विभाग की दो अलग-अलग टीम के द्वारा पशु व मनुष्य की आवश्यक दवाओं का वितरण किया जा रहा था...
राजीव झा/सहरसा: जिला प्रशासन ने बाढ प्रभावित गांवों को कई जोन में बांटकर व्यवस्थित तरीके से राहत व बचाव कार्य करने की तैयारी में जुट गयी है। इसके लिए नवहट्टा अंचल के पदाधिकारी सफी अख्तर को जोनल पदाधिकारी का दायित्व सौंपा गया है। नाव परिचालन के लिए भी कई सरकारी कर्मियों को नाव प्रभारी बनाया गया है। दूसरी तरफ प्रभारी मंत्री रमेश ऋषिदेव ने मंगलवार को स्थानीय सर्किट हाउस में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के बचाव व राहत कार्य के लिए डीएम बिनोद सिंह गुंजियाल के साथ बैठक कर हरेक स्तर पर तैयारी रखने का आवश्यक निर्देश दिया।

मनुष्य व पशुओं के लिए दावा वितरित   
हालाँकि बुधवार को नवहट्टा प्रखंड के एक स्पर पर स्वास्थ्य विभाग की दो अलग-अलग टीम के द्वारा पशु व मनुष्य की आवश्यक दवाओं का भी वितरण किया जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग की इस टीम में मनुष्य के लिए डॉ. सुजीत कुमार के नेतृत्व में एएनएम इंदु कुमारी व रीना कुमारी के द्वारा भी सर दर्द, बुखार, दस्त आदि के रोगी पहूंच रहे थे। सभी को आवष्यक दवा उपलब्ध कराया जा रहा था। जबकि डॉ. संजीव कुमार सुमन के नेतृत्व में अनवर हुसैन व जितेन्द्र कुमार सिंह के द्वारा मवेषियों को पेट रोग की दवाओं में कीड़ा मारने के लिए दवा दी जा रही थी। इसी प्रकार टॉनिक, बुखार, भूख लगने के लिए पषु पाचक दिया जा रहा था।  
  
राहत व् बचाव के लिए बना चार जोन
नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र के पंचायत नौला के बाढ प्रभावित गांव लालपुर, भेलाही, नौला, रसलपुर, गढिया व लोहार का एक जोन में षामिल किया गया है। जबकि बकुनियां पंचायत के परताहा व बकुनियां गांव के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी चंद्रमोहन पासवान जोनल अधिकारी बनाया गया है। इसी प्रकार पंचायत सत्तौर के गांव नारायणपुर नंरगा, बिरजाईन व सत्तौर शाहपुर पंचायत के रामजी टोला को एक जोन बनाकर मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रभात रंजन झा को दायित्व सौंपा गया है। जबकि पंचायत हाटी के गांव देवका, ऐराजी, मुरली, कठुआर, कटियाही बरियाही, केदली पंचायत के असैय, पहाड़पुर, छतवन, रामपुर केदली, डरहार पंचायत के डरहार, महुआ, गाविंदपुर, बरवाड़ा गांव के लिए जोनल अधिकारी के रूप में अंचलाधिकारी सफी अख्तर को दायित्व दिया गया है। सीओ सफी अहमद ने बताया कि प्रभावित इलाके के संबंध में वरीय अधिकारियों को प्रतिवेदन भेज दिया गया है। सरकार से निर्देश मिलते ही राहत कार्य षुरू किये जाएंगे। बचाव कार्य के लिए पांच दर्जन से अधिक नाव का परिचालन हो रहा है। सभी बाढ़ आश्रय स्थलों को नागरिकों को सौंप दिया गया है।
किसी भी प्रकार की आपदा से मुकाबले को तैयार प्रशासन  
प्रभारी मंत्री रमेश ऋषिदेव ने मंगलवार को स्थानीय सर्किट हाउस में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के बचाव व राहत कार्य के लिए डीएम बिनोद सिंह गुंजियाल के साथ बैठक कर हरेक स्तर पर तैयारी रखने का आवश्यक निर्देश दिया। मंत्री के साथ विचार-विमर्श के दौरान डीएम श्री गुंजियाल ने कहा कि तटबंध पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और बाढ प्रभावित इलाकों से पानी से घिरे लोगों को आश्रय स्थलों पर लाने के लिए संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा की स्थिति आने पर भी जिला प्रशासन किसी भी मुकाबले को तैयार है। इसके लिए राहत व बचाव के अलावा चिकित्सक, पशु चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है। मानव व पशु के दवा के अलावा पशुचारा का भी प्रबंध कर लिया गया है। संबंधित क्षेत्र के बीडीओ व सीओ के अलावा प्रखंडों के प्रभारी पदाधिकारी लगातार पर्यवेक्षण कर रहे हैं। जिला मुख्यालय में नियंत्रण कक्ष में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर भी त्वरित कार्रवाई की जा रही है।






कोसी मैया एक बार फिर बाढ़ तैयारी को संभलने की दी मौहलत

कोसी मैया एक बार फिर बाढ़ तैयारी को संभलने की दी मौहलत

तटबंध की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्परों पर लाखों की राशि खर्च कर जल संसाधन विभाग जहां बाढ सुरक्षा की गारंटी कर रही है वहीं नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र अवस्थिति पूर्वी कोसी तटबंध के 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मोहनपुर पंचायत के मिसरौलिया, परसबन्नी चाही के एक दर्जन परिवार अपने बाल-बच्चा समेत माल-मवेशि के साथ शरण लिए हुए है...


संजय सोनी/सहरसा: कोसी नदी में जल का स्तर काफी घटता नजर आ रहा है। मुख्य कोसी नदी की धारा भी मध्य नदी भाग में भी कोई खास हलचल पैदा नहीं कर रही है। मंथर गति से गरजते हुए कोसी नदी दक्षिण दिशा की तरह नवहट्टा से आगे बढकर महिषी, राजनपुर होते हुए सलखुआ के रास्ते कुरसेला में बहन गंगा से गले मिल रही है। ऐसा लगता है कि कोसी मैया हम सबों को संभलने के लिए एकाध सप्ताह की मौहलत दे रही है। अभी बाढ का करीब ढाई महीना समय शेष है। 31 अक्टूबर के बाद ही जल संसाधन विभाग को भी फुरसत मिलने जा रही है। 5 अक्टूबर 1968 को कोशी नदी में 9 लाख 13 हजार क्यूसेक एवं बराह क्षेत्र 7 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक जल निस्सरण का अधिकतम रिकार्ड रहा है। इसलिए ऐसा नहीं समझा जाय कि बाढ़ का समय कट गया है। वैसे भी मौसम विभाग बारिश की संभावनाओं का संदेश आम लोगों को देना बंद नहीं की है।  
पूर्वी कोसी तटबंध व तटबंध की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्परों पर लाखों की राशि खर्च कर जल संसाधन विभाग जहां बाढ सुरक्षा की गारंटी कर रही है वहीं नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र अवस्थिति पूर्वी कोसी तटबंध के 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मोहनपुर पंचायत के मिसरौलिया, परसबन्नी चाही के एक दर्जन परिवार अपने बाल-बच्चा समेत माल-मवेशि के साथ शरण लिए हुए है। अभी कोसी नदी में जो जल वृद्धि हुई थी उसमें ऐसे ही कुछ स्परों में 78.60,78.30, 74.00 एवं 64.95, 81.00   सहित कई अन्य स्परों पर नदी की धारा का भीषण दवाब बना हुआ था। इन स्परों को बचाने के लिए लाखें की राषि को पानी की तरह बचाया गया और उसी जगह 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मवेशियों के साथ लोग रह रहे हैं जो ताज्जुब की बात है। अगर कोसी नदी के जल स्तर में वृद्धि होती है तो नदी की धारा को तटबंध से सटने में कुछ घंटे का भी वक्त नहीं लगेगा और स्पर की नोज को खंगालते हुए स्पर को क्षतिग्रस्त कर देगी और तटबंध पर आसानी से नदी की धारा अटैक कर देगी। यहीं कहा गया है आ बैल मुझे मार।
बतादें कि फतेह खां स्पर पर बाढ की पहली तबाही पहली अगस्त को ही सुगमिया देवी, बीएन देवी, अकबरी बेगम, राम प्रसाद खिरहर, राधे खिरहर, सिकन्दर खिहर, महेन्द्र यादव, योगेन्द्र यादव, राजेन्द्र यादव, राम प्रबोध यादव, रामदेव यादव, दिलिप यादव आदि परिवारों ने कहा कि हम सभी पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर मोहनपुर पंचायत के गांव मिसरौलिया व परसबन्नी चाही पर रहते थे। इस साल पहली अगस्त को बाढ आने के कारण यहां षरण ले लिये हैं। इन सबों को ये भी पता है कि स्परों पर षरण लेना जुर्म है , फिर भी आश्रय स्थल नहीं होने से शरण लेना मजबूरी हो गया है। इन लोगों ने कहा कि अब तक किसी प्रकार की बाढ राहत प्राप्त नहीं हो सकी है। बाढ राहत के बिना हम सबों की परेशानी दोगुनी हो गयी है।