Monday, August 28, 2017

पं. सुरेश झा की स्मृति में बॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन

 पं. सुरेश झा की स्मृति में बॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन
स्व. झा सहरसा को सहरसा शहर बनाने की दिशा में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है और पत्रकारिता के क्षेत्र में इंडियन नेशन जैसी अंग्रेजी आखबारों के संवाददाता के रूप में भी निष्पक्ष, निर्भिक व जनपक्षीय पत्रकारिता के जरोये जनसेवा कर ख्याति अर्जित करने की भी एक इतिहास रही है...

सहरसा। जिले के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के संस्थापक सदस्य सहित इंडियन नेशन के वारीय पत्रकार एवं कोशी क्षेत्र के महान विभूति पं. सुरेश झा की स्मृति में 29 अगस्त खेल दिवस के मौके पर बॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन 11 बजे दिन से मनोहर उच्च विद्यालय परिसर में होने जा रही है। इस बॉलीबॉल प्रतियोगिता के आयोजक भाजपा के युवा नेता शशि शेखर झा सम्राट ने तमाम खेल प्रेमी व आम शहरवासियों को प्रतियोगिता स्थल पहूंचकर आयोजक व खिलाड़ियों का हौंसला बढाने का सादर अनुरोध किया है।  
स्व. झा सहरसा को सहरसा शहर बनाने की दिशा में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है और पत्रकारिता के क्षेत्र में इंडियन नेशन जैसी अंग्रेजी आखबारों के संवाददाता के रूप में भी निष्पक्ष, निर्भिक व जनपक्षीय पत्रकारिता के जरोये जनसेवा कर ख्याति अर्जित करने की भी एक इतिहास रही है।
यह कहना गैर जरूरी है कि स्व. सुरेश झा मनोहर मध्य विधालय के संस्थापक प्रधानाध्यापक के साथ-साथ शहर अवस्थित मनोहर उच्च विधालय, सहरसा कालेज सहरसा वर्तमान में एमएलटी कालेज सहरसा, जिला स्कूल सहरसा, सहरसा गर्ल्स स्कूल एवं विधि महाविद्यालय सहरसा के बतौर संस्थापक सदस्य के रूप में न केवल विकास की सच्ची परिकल्पना को पूरा किया बल्कि शैक्षणिक जगत में इन संस्थानों को स्थापित करवाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान आज भी सराहनीय है। यह भी बतादें कि स्व. सुरेश झा भाजपा के युवा नेता भीआईपी रोड निवासी मणि झा के पुत्र शशिशेखर झा सम्राट के दादा जी हैं और भाजपा नेता श्री सम्राट अपने दादा स्व. सुरेश झा की स्मृति में खेल दिवस के अवसर पर आयोजन कर ऐसे सामाजिक व शैक्षणिक विद्वतजन के लिए एक नयी परम्परा की शुरूआत करने जा रहे हैं। परिवार के ऐसे सदस्य पर भी फक्र होनी चाहिए और समाज व परिवार के अन्य लोगों को भी अनुकरण करना चाहिए।



Friday, August 18, 2017

हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा, नहीं उठेगा


हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा, नहीं उठेगा

कष्ट चाहे जितनी हो, विचार हमारी नहीं मरेगी, आह हम नहीं भरेंगे...  
हां, चंदेश्वर ने उन शख्सियतों से इतना कुछ जरूर सीखा कि तहेदिल से कहता है कि आज भी गांधी, जयप्रकाश व बिनोबा के नाम पर कोई कार्यक्रम होता है तो अपने तनख्वाह से 500-1000 अधिक की राशि सहयोग करने की ताकत रखता हूं...
संजय सोनी/सहरसा: लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिनोवा भावे, शिवराज ढढा, दादा धर्माधिकारी, ठाकुर दास बंग, आचार्य राममूर्ति शरीखे लोगों के खिदमतगार रहे चंदेश्वर आज भी वैचारिक रूप से जितना मजबूत है आर्थिक रूप से उतना ही कमजोर पड़ गया है। आप सबों को लगता होगा कि आखिर ये कौन है चंदेश्वर?
70 वर्षीय वृद्ध चंदेश्वर महतो राजधानी पटना के कदमकुंआ क्षेत्र के कांग्रेस मैदान अवस्थित “बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि” पटना के आर्डरली पद पर कार्यरत और गया जिले के अतरी थाना क्षेत्र के गांव शेवतर का रहने वाला है। संस्था की तरफ से आज भी तनख्वा के रूप में महज 3 हजार रूपये ही किसी तरह मिलता है। जब चंदेश्वर 1962 में संस्था ज्वाईन किया था तो उस वक्त भी मात्र 40 रूपये महीना ही पगार के तौर पर दिया जाता था। श्री चंदेश्वर संस्था में पेट भरने नहीं बल्कि परिवर्तन की वैचारिक क्रांति से अभिभूत होकर इस लालच में कि कम से कम लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिनोवा भावे, शिवराज ढढा, दादा धर्माधिकारी, ठाकुर दास बंग, आचार्य राममूर्ति जैसे शख्सियतों से तो कुछ तो सीखने को मिलेगा। हां, चंदेश्वर ने उन शख्सियतों से इतना कुछ जरूर सीखा कि तहेदिल से कहता है कि आज भी गांधी, जयप्रकाश व बिनोबा के नाम पर कोई कार्यक्रम होता है तो अपने तनख्वाह से 500-1000 अधिक की राशि सहयोग करने की ताकत रखता हूं। उन्होंने एक जबर्दश्त बात यह कही कि मुझे अब तक समझ में नहीं आया कि आखिर सर्वोदय किसे कहते हैं। मेरी समझ में सर्वोदय कर मतलब सबों का उदय। लेकिन यहां तो सिर्फ व्यक्ति का ही उदय होता रहा है। उन्होंने कहा की आज भी सबों का एकसाथ उदय चाहने वाले व्यक्ति की जरुरत है। उन्होंने लोकनायक के साथ अपनी सेवा क्षण को याद करते हुए बोला कि जब जेपी सख्त बीमार थे तो मुझे शरीर दबाने का दायित्व सौंपा गया और बोला गया की जब गहरी नींद आ जाय तो छोड़ देना। लेकिन ऐसा मौका आते ही खुद कराह कर बोलते थे कि जरा इधर। जब उनकी इस कष्ट को मैने शरीर दबाकर महसूस किया तो औरों से कहा कि मुझे नदी में पानी डंगाने का काम मंजूर है पर, जेपी का कष्ट देखना मंजूर नहीं है। उनकी व्यथा देखकर मुझे लगा कि ईश्वर को इन्हें अब धरती पर नहीं रखना चाहिए। लेकिन सत्तालोपियों का कुनबा सिर्फ यही चाहते रहे कि जेपी बीमार हालत में भी रहे तो मेरा काम बन जाएगा। कहने का मतलब श्री चंदेश्वर ने स्पष्ट कहा कि जेपी के विचारों का सौदा करने वाले उस वक्त भी थे और आज भी है। तो भला इस गांधी स्मार निधि व उसके कर्मचारियों को कौन देखने वाला है।   

वे यह भी बोलते हैं कि 1974 के आंदोलन में “बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि” छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का मुख्य केन्द्र रहा है और यहां उन सबों के आलावा अमरनाथ भाई, कर्पूरी ठाकुर, नीतीश कुमार, लालू यादव, रामबलिास पासवान, सुशील कुमार मोदी, बिनोदा नंद झा, शिवानंद तिवारी जैसे लोगों का यह संस्था एक तरह से प्रशिक्षण केन्द्र रहा है। फिर भी इस संस्थान की खराब हालत पर कोई ध्यान नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इमेरजेंसी में इस संस्थान में पंछी तक रहना पसंद नहीं करता था तो भी चंदेश्वर ही रहा करता था। श्री चंदेश्वर ने बोला कि “हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा, नहीं उठेगा और अब भी कष्ट चाहे जितनी हो, विचार हमारी नहीं मरेगी, आह हम नहीं भरेंगे...। तो आज भी हम उसी मूलमंत्र को आत्मसात कर गांधी स्मारक निधि में सेवारत हैं।    

अमानवीय जीवन शैली से समाज और सरकार का पहले आत्मसमर्पण: मणि


अमानवीय जीवन शैली से समाज और सरकार 

का पहले आत्मसमर्पण: मणि
समाज और सरकार ने अमानवीय जीवन शैली से पहले आत्मसमर्पण किया है। आज भी बिहार के 26 जिलों में बाढ़ आयी है और हम बाढ़ में रह रहे हैं। वे बोले कि 9 साल पहले भी कोशी में 18 अगस्त को विनाशकारी बाढ़ आयी थी। उन्होंने बाढ़, भूमि व सामाजिक शांति की दिशा में कोई नयी रणनीति को अपनाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आवासीय चिंतन शिविर आयोजन करने को कहा...
पटना: राजधानी पटना के कदमकुंआ क्षेत्र के कांग्रेस मैदान अवस्थित "बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि" के सभा कक्ष में बाढ़ के बाढ़ के अनुभव, स्थाई समाधान एवं बाढ़ सह जीवन विषयक एक दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को किया गया । “स्वराज बिहार” के साथियों व कार्यकर्ताओं के साथ कंसोर्टियम के संयोजक भगवानजी पाठक के संचालन व जेपी आंदोलन के सिपाही रहे अनिल गुप्ता की अध्यक्षता में आहूत इस विचार गोष्ठी को देश के चर्चित पर्यावरणविद सह पश्चिम नदी घाट बचाओ आंदोलन के प्रणेता कुमार कलानंद मणि ने बाढ़ नियंत्रण के सवाल पर अपने सारगर्भित वक्तव्य में समाज व सामाजिक कार्यकर्ताओं को न केवल आगे आने को कहा बल्कि यह भी कहा कि1 9 50 के बाद से किए गए सभी वैज्ञानिक उपाय बाढ़ को नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं और अब बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में है। यह स्पष्ट है कि समाज और सरकार ने अमानवीय जीवन शैली से पहले आत्मसमर्पण किया है। 




आज भी बिहार के 26 जिलों में बाढ़ आयी है और हम बाढ़ में रह रहे हैं। वे बोले कि 9 साल पहले भी कोशी में 18 अगस्त को विनाशकारी बाढ़ आयी थी। उन्होंने बाढ़, भूमि व सामाजिक शांति की दिशा में कोई नयी रणनीति को अपनाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आवासीय चिंतन शिविर आयोजन करने को कहा। इस मौके पर प्रो. प्रकाश ने भी बाढ़ के साथ-साथ नदियों व तालाबों के भूमाफियाओं के द्वारा दखल-कब्ज़ा पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि नदियों के मार्गों पर पहले अतिक्रमण और फिर बिक्री आखिर ये क्या हो रहा है। इस दिशा में भी समाज व सरकार सोयी हुई है। रंजीव ने भी कहा की इस साल की बाढ तटबंध टूटने से नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। बारिश से कभी इस तरह की भीषण बाढ़ नहीं आती थी।     

इसके बाद स्वराज बिहार के कार्यकर्ताओं के साथ भी बैठक किया। बैठक में प्रो. प्रकाश, रंजीव, मक़बूल भाई, मंसूर आलम, पंचम भाई, सत्यनारायण भाई, शाहजहां साज, योगेंद्र, जानकी, असर्फी सिंह, सुनीता,पृथ्वी सिंह, रमेश कुमार, खूबलाल भाई आदि ने प्रमुख रूप से हिस्सा लिया। इस आयोजन में बिहार व झारखंड के विभिन्न जिलों से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। गोष्ठी में कुसहा त्रासदी के नौ साल पर भी चर्चा किया गया और कुसहा बाढ़ एवं वर्तमान बाढ़ में अकाल मौत को गले लगाने वालों के प्रति दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धाजंलि अर्पित किया गया।

Wednesday, August 16, 2017

प्रभारी मंत्री के सख्ती से बचाव व राहत कार्यों में जुटा प्रशासन




प्रभारी मंत्री के सख्ती से बचाव व राहत कार्यों में जुटा प्रशासन   
नवहट्टा प्रखंड के एक स्पर पर स्वास्थ्य विभाग की दो अलग-अलग टीम के द्वारा पशु व मनुष्य की आवश्यक दवाओं का वितरण किया जा रहा था...
राजीव झा/सहरसा: जिला प्रशासन ने बाढ प्रभावित गांवों को कई जोन में बांटकर व्यवस्थित तरीके से राहत व बचाव कार्य करने की तैयारी में जुट गयी है। इसके लिए नवहट्टा अंचल के पदाधिकारी सफी अख्तर को जोनल पदाधिकारी का दायित्व सौंपा गया है। नाव परिचालन के लिए भी कई सरकारी कर्मियों को नाव प्रभारी बनाया गया है। दूसरी तरफ प्रभारी मंत्री रमेश ऋषिदेव ने मंगलवार को स्थानीय सर्किट हाउस में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के बचाव व राहत कार्य के लिए डीएम बिनोद सिंह गुंजियाल के साथ बैठक कर हरेक स्तर पर तैयारी रखने का आवश्यक निर्देश दिया।

मनुष्य व पशुओं के लिए दावा वितरित   
हालाँकि बुधवार को नवहट्टा प्रखंड के एक स्पर पर स्वास्थ्य विभाग की दो अलग-अलग टीम के द्वारा पशु व मनुष्य की आवश्यक दवाओं का भी वितरण किया जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग की इस टीम में मनुष्य के लिए डॉ. सुजीत कुमार के नेतृत्व में एएनएम इंदु कुमारी व रीना कुमारी के द्वारा भी सर दर्द, बुखार, दस्त आदि के रोगी पहूंच रहे थे। सभी को आवष्यक दवा उपलब्ध कराया जा रहा था। जबकि डॉ. संजीव कुमार सुमन के नेतृत्व में अनवर हुसैन व जितेन्द्र कुमार सिंह के द्वारा मवेषियों को पेट रोग की दवाओं में कीड़ा मारने के लिए दवा दी जा रही थी। इसी प्रकार टॉनिक, बुखार, भूख लगने के लिए पषु पाचक दिया जा रहा था।  
  
राहत व् बचाव के लिए बना चार जोन
नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र के पंचायत नौला के बाढ प्रभावित गांव लालपुर, भेलाही, नौला, रसलपुर, गढिया व लोहार का एक जोन में षामिल किया गया है। जबकि बकुनियां पंचायत के परताहा व बकुनियां गांव के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी चंद्रमोहन पासवान जोनल अधिकारी बनाया गया है। इसी प्रकार पंचायत सत्तौर के गांव नारायणपुर नंरगा, बिरजाईन व सत्तौर शाहपुर पंचायत के रामजी टोला को एक जोन बनाकर मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रभात रंजन झा को दायित्व सौंपा गया है। जबकि पंचायत हाटी के गांव देवका, ऐराजी, मुरली, कठुआर, कटियाही बरियाही, केदली पंचायत के असैय, पहाड़पुर, छतवन, रामपुर केदली, डरहार पंचायत के डरहार, महुआ, गाविंदपुर, बरवाड़ा गांव के लिए जोनल अधिकारी के रूप में अंचलाधिकारी सफी अख्तर को दायित्व दिया गया है। सीओ सफी अहमद ने बताया कि प्रभावित इलाके के संबंध में वरीय अधिकारियों को प्रतिवेदन भेज दिया गया है। सरकार से निर्देश मिलते ही राहत कार्य षुरू किये जाएंगे। बचाव कार्य के लिए पांच दर्जन से अधिक नाव का परिचालन हो रहा है। सभी बाढ़ आश्रय स्थलों को नागरिकों को सौंप दिया गया है।
किसी भी प्रकार की आपदा से मुकाबले को तैयार प्रशासन  
प्रभारी मंत्री रमेश ऋषिदेव ने मंगलवार को स्थानीय सर्किट हाउस में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के बचाव व राहत कार्य के लिए डीएम बिनोद सिंह गुंजियाल के साथ बैठक कर हरेक स्तर पर तैयारी रखने का आवश्यक निर्देश दिया। मंत्री के साथ विचार-विमर्श के दौरान डीएम श्री गुंजियाल ने कहा कि तटबंध पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और बाढ प्रभावित इलाकों से पानी से घिरे लोगों को आश्रय स्थलों पर लाने के लिए संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा की स्थिति आने पर भी जिला प्रशासन किसी भी मुकाबले को तैयार है। इसके लिए राहत व बचाव के अलावा चिकित्सक, पशु चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है। मानव व पशु के दवा के अलावा पशुचारा का भी प्रबंध कर लिया गया है। संबंधित क्षेत्र के बीडीओ व सीओ के अलावा प्रखंडों के प्रभारी पदाधिकारी लगातार पर्यवेक्षण कर रहे हैं। जिला मुख्यालय में नियंत्रण कक्ष में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर भी त्वरित कार्रवाई की जा रही है।






कोसी मैया एक बार फिर बाढ़ तैयारी को संभलने की दी मौहलत

कोसी मैया एक बार फिर बाढ़ तैयारी को संभलने की दी मौहलत

तटबंध की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्परों पर लाखों की राशि खर्च कर जल संसाधन विभाग जहां बाढ सुरक्षा की गारंटी कर रही है वहीं नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र अवस्थिति पूर्वी कोसी तटबंध के 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मोहनपुर पंचायत के मिसरौलिया, परसबन्नी चाही के एक दर्जन परिवार अपने बाल-बच्चा समेत माल-मवेशि के साथ शरण लिए हुए है...


संजय सोनी/सहरसा: कोसी नदी में जल का स्तर काफी घटता नजर आ रहा है। मुख्य कोसी नदी की धारा भी मध्य नदी भाग में भी कोई खास हलचल पैदा नहीं कर रही है। मंथर गति से गरजते हुए कोसी नदी दक्षिण दिशा की तरह नवहट्टा से आगे बढकर महिषी, राजनपुर होते हुए सलखुआ के रास्ते कुरसेला में बहन गंगा से गले मिल रही है। ऐसा लगता है कि कोसी मैया हम सबों को संभलने के लिए एकाध सप्ताह की मौहलत दे रही है। अभी बाढ का करीब ढाई महीना समय शेष है। 31 अक्टूबर के बाद ही जल संसाधन विभाग को भी फुरसत मिलने जा रही है। 5 अक्टूबर 1968 को कोशी नदी में 9 लाख 13 हजार क्यूसेक एवं बराह क्षेत्र 7 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक जल निस्सरण का अधिकतम रिकार्ड रहा है। इसलिए ऐसा नहीं समझा जाय कि बाढ़ का समय कट गया है। वैसे भी मौसम विभाग बारिश की संभावनाओं का संदेश आम लोगों को देना बंद नहीं की है।  
पूर्वी कोसी तटबंध व तटबंध की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्परों पर लाखों की राशि खर्च कर जल संसाधन विभाग जहां बाढ सुरक्षा की गारंटी कर रही है वहीं नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र अवस्थिति पूर्वी कोसी तटबंध के 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मोहनपुर पंचायत के मिसरौलिया, परसबन्नी चाही के एक दर्जन परिवार अपने बाल-बच्चा समेत माल-मवेशि के साथ शरण लिए हुए है। अभी कोसी नदी में जो जल वृद्धि हुई थी उसमें ऐसे ही कुछ स्परों में 78.60,78.30, 74.00 एवं 64.95, 81.00   सहित कई अन्य स्परों पर नदी की धारा का भीषण दवाब बना हुआ था। इन स्परों को बचाने के लिए लाखें की राषि को पानी की तरह बचाया गया और उसी जगह 83.80 किमी फतेह खां नामक स्पर पर मवेशियों के साथ लोग रह रहे हैं जो ताज्जुब की बात है। अगर कोसी नदी के जल स्तर में वृद्धि होती है तो नदी की धारा को तटबंध से सटने में कुछ घंटे का भी वक्त नहीं लगेगा और स्पर की नोज को खंगालते हुए स्पर को क्षतिग्रस्त कर देगी और तटबंध पर आसानी से नदी की धारा अटैक कर देगी। यहीं कहा गया है आ बैल मुझे मार।
बतादें कि फतेह खां स्पर पर बाढ की पहली तबाही पहली अगस्त को ही सुगमिया देवी, बीएन देवी, अकबरी बेगम, राम प्रसाद खिरहर, राधे खिरहर, सिकन्दर खिहर, महेन्द्र यादव, योगेन्द्र यादव, राजेन्द्र यादव, राम प्रबोध यादव, रामदेव यादव, दिलिप यादव आदि परिवारों ने कहा कि हम सभी पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर मोहनपुर पंचायत के गांव मिसरौलिया व परसबन्नी चाही पर रहते थे। इस साल पहली अगस्त को बाढ आने के कारण यहां षरण ले लिये हैं। इन सबों को ये भी पता है कि स्परों पर षरण लेना जुर्म है , फिर भी आश्रय स्थल नहीं होने से शरण लेना मजबूरी हो गया है। इन लोगों ने कहा कि अब तक किसी प्रकार की बाढ राहत प्राप्त नहीं हो सकी है। बाढ राहत के बिना हम सबों की परेशानी दोगुनी हो गयी है।  


Tuesday, August 15, 2017

बाढ पीड़ितों के बीच कब तक पहूंच सकेगी राहत सुविधा

बाढ पीड़ितों के बीच कब तक पहूंच सकेगी राहत सुविधा 

बाढ पीड़ितों की सुधि से ज्यादा उनकी समस्याओं की सेल्फी लोगों के लिए ज्यादा अहमियत रख रही है। लिहाजा दर्द तो दबी रह जा रही है और तस्वीर दर तस्वीर किसी न किसी सोशल साईट पर जरूर देखने को मिल जा रही है। अगर प्रशासन सहित समाजसेवियों की हालत यही रही तो बाढ पीड़ितों को किसी पर भरोसा नहीं रह जाएगा...

 
राजीव झा /सहरसा: कोसी नदी की बाढ से पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर व तटबंध से सटे नवहट्टा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर व सलखुआ प्रखंड के गांवों की हालत काफी खराब है। इसके बावजूद जिला प्रषासन की ओर से बाढ पीड़ितों के लिए राहत सुविधा के कोई उपाय अब तक नहीं किया जा चुका है। इस वजह से बाढ प्रभावित परिवारों के समक्ष भोजन-भात की भी समस्या उत्पन्न हो गयी है।



15 अगस्त को जिले के प्रभारी मंत्री रमेश ऋषिदेव के साथ जिला भाजपा अध्यक्ष नीरज गुप्ता, रालोसपा के जिला अध्यक्ष चंदन कुमार बागची के साथ कार्यकर्ताओं व नेताओं का जत्था बाढ प्रभावित प्रखंडों के महिषी व नवहट्टा के गांवों का नाव से निरीक्षण कर जायजा लिया। इस टीम के साथ संबंधित प्रखंडों के अंचल पदाधिकारी व कर्मचारी भी साथ चल रहे थे। फिर भी अब तक राहत की कोई व्यवस्था नहीं होना दुखद बात है। शुक्र तो इन्द्रदेव का मानिये कि बारिश नहीं हो रही है। जबकि पिछले दो दिन पहले मुसलाधार बारिश व नदी में जल वृद्धि से तटबंध के भीतर का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था। वैसे बुधवार की सुबह भी रिमझिम बारिश की हल्की फुहार हुई और लगता है कि दिनभर स्थिति यही रहेगी। सवाल घर से बेघर परिवारों को अगर तत्काल प्लास्टिक भी नसीब नहीं होगी तो खुले आकाश में ही दिन गुजारना पड़ सकता है। मौसम विभाग ने भी अगले 48 घंटो तक बिहार के सभी जिलों में भारी बारिश होने की संभावना व्यक्त किया है। मौसम विभाग की संभावना के अनुसार अभी तक भारी बारिश तो नहीं हल्की बारिश शुरू है। बाढ पीड़ितों की सुधि से ज्यादा उनकी समस्याओं की सेल्फी लोगों के लिए ज्यादा अहमियत रख रही है। लिहाजा दर्द तो दबी रह जा रही है और तस्वीर दर तस्वीर किसी न किसी सोशल साईट पर जरूर देखने को मिल जा रही है। अगर प्रशासन सहित समाजसेवियों की हालत यही रही तो बाढ पीड़ितों को किसी पर भरोसा नहीं रह जाएगा। वैसे जब इस क्षेत्र के लोगों ने कुसहा त्रासदी को झेल लिया तो इस बाढ का क्या असर करेगा। अभी तक आधे दर्जन से ऊपर बाढ़ में विभिन्न स्थानों पर डूबकर मौत की भी सुचना है    

Monday, August 14, 2017

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का १६ अगस्त को दौरा करेगी रालोसपा टीम:चन्दन बागची


बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का 16 अगस्त को दौरा करेगी रालोसपा टीम:चन्दन बागची 
सहरसा: बाढ़ से तबाह हो रहे आम जन-जीवन को सुविधा मुहैया कराने के लिए रालोसपा ने जिला प्रशासन से मांग किया है।  जिला रालोसपा के अध्यक्ष चंदन कुमार बागची, प्रदेश युवा लोक समता के महासचिव शशांक सुमन विक्की, प्रधान महासचिव गौरव सिंह ने संयुक्त रूप से जारी बयान में कहा है कि जिले के प्रखंड महिषी के 11 पंचायत, नवहट्टा के 7 एवं सिमरी बख्तियासरपुर व सलखुआ के दर्जनों पंचायत भीषण बाढ़ की चपेट में आ चुकी है। इसके बावजूद प्रभावित पंचायत के गांवों में बाढ़ राहत, नाव, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है। प्रदेश युवा लोक समता के महासचिव शशांक सुमन विक्की ने कहा है बाढ़ के कारण व्यापक पैमाने पर किसानों के फसलों की भी क्षति हुई है। किसानों के हित को देखते हुए बर्बाद फसलों के मुआवजा देने की दिशा में भी संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है। श्री विक्की ने कहा कि अब सूबे में राजग की सरकार है इस वजह से भी अपेक्षा बढ़ गयी है। इसके साथ ही सबसे खुशी की बात यह है कि आपदा मंत्री सिमरी बख्तियारपुर के विधायक दिनेश चंद्र यादव हैं और वे कोशी व कोशी वासियों की कष्ट को करीब से जानते हैं। रालोसपा की टीम 16 अगस्त को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर समस्याओं को सरकार तक पहुंचाएगी। बिहार सरकार के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री श्री रमेश ऋषिदेव से मुलाकात कर बधाई भी दिया और बाढ़ प्रभावितों की सुधि लेने का भी अनुरोध किया ।

जश्न-ए-आजादी में अपनी परफॉरमेंस से दर्शकों को राज महाजन ने झूमने को किया मजबूर

गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में गाना गाकर कुछ यूं आज़ादी का जश्न मनाया राज महाजन ने
मेघा वर्मा/दिल्ली: दिल्ली के प्रसिद्द डॉलीवुड टैलेंट क्लब में भामाशाह कुटुंब और मोक्ष म्यूजिक कंपनी द्वारा 13 अगस्त को  जश्न-ए-आजादी प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें माहौर वैश्य भामाशाह समाज के कई आर्टिस्टों ने भाग लिया। इस प्रोग्राम में राज महाजन भी गाते हुए नज़र आये। राज ने और इस दिल में क्या रखा है’ और तुझको पुकारे मेरा प्यार’ गाकर दर्शकों का दिल जीत लिया कार्यक्रम के अंत में महाजन ने देशभक्ति गीत यह देश है वीर जवानो का’ गाकर सबको झूमने पर मजबूर कर दिया और इस तरह आज़ादी का जश्न मनाया गया। आयोजकों में देवेन्द्र गुप्तामनोज गुप्ता और संजय गुप्ता ने भामाशाह समाज के कलाकारों को पुरस्कार दिया और राज महाजन को भी सम्मानित किया। आप जानते ही होंगे कि बिग-बॉस 11 को लेकर राज महाजन के नाम की अटकलें जोर-शोर से चल रही है। साथ ही हॉट निया शर्मायूट्यूब सेंसेशन धिन्चक पूजादेवोलीनाडांसर सपना चौधरीभाभी जी घर पे हैं की शिल्पा शिंदेगुरमीत राम रहीम के नाम भी लिस्ट में हैं





Saturday, August 12, 2017

हिमालयी बारिश व सप्तकोशी की धारा से नेपाल हुआ जलमग्न


 सप्तकोशी की धारा व हिमालयी बारिश से नेपाल हुआ जलमग्न 
 पूर्वी कोशी व पश्चिमी तटबंध के अन्दर सुपौल एवं सहरसा जिले के निर्वासित गांवों की स्थिति भी बाढ़ से बनी भयावह...
 सहरसा: नेपाल के तराई क्षेत्र सहित पूर्वी व पश्चमी कोशी तटबंध के अंदर निर्वासित गांवों की हालत बारिश को लेकर तबाही का रुख अख्तियार कर लिया है। नेपाल तराई क्षेत्र के प्रमुख शहरों में बिराटनगर, इटहरी, बिरतामोड़, भद्रपुर, इोरवावा, राजविराज, जनकपुर, जलेश्वर, वीरगंज, भैरावावा, नेपालगंज आदि जलमग्न है। इसके साथ ही नेपाल का एयरपोर्ट भी जलमग्न है और उड़ान अवरुद्ध रहा। भारतीय व् नेपाल सीमा क्षेत्र का जोगबनी भी जलमग्न हो गया है। जोगबनी रेल ट्रेक भी जलमग्न है। इस वजह से सिर्फ बथनाहा तक ही ट्रेन चली। भारतीय क्षेत्र के बिहार अवस्थित पूर्वी कोशी व पश्चिमी तटबंध के अन्दर सुपौल एवं सहरसा जिले के निर्वासित गांवों की स्थिति भी बाढ़ से भयावह बनी हुई है।

इस साल सप्तकोशी नदी नेपाल को भी न केवल बाढ़ से तबाह किया बल्कि जनजीवन को भी तबाह कर दिया है। नेपाल को परेशां होते देख

शनिवार को 10 बजे दिन में कोशी बराज से 2 लाख 81 हजार 955 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया वहीं बराह क्षेत्र में भी एक लाख 99 हजार 500 क्यूसेक डिस्चार्ज किया गया और जल वृद्धि भी जारी है। भीमनगर कोशी बराज से लेकर मरौना, सरायगढ़, नवहट्टा, महिषी से राजनपुर व वीरगांव आदि के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ गयी है। जबकि नेपाल के सुनसरी, मोरंग के भी शहर व गांवों की हालत भयावह हो गयी है। सुनसरी के औरबनी विकास समिति निवासी गुणानंद चौधरी ने बताया कि एक हप्ताह से बारिश हो रही है। चार दिनों की बारिश की वजह से सुनसरी-मोरंग का इलाका जलमग्न हो गया है। बिराटनगर का एयरपोर्ट भी जलमग्न है। बिराटनगर-धरान का कोशी राजमार्ग भी डूब गया है। 
अररिया का बहादुरगंज रोड 
भीम नगरवासी भी दहशत में हैं। सूत्रों ने बताया कि भीमनगर कोशी बराज का भी 56 फाटक में से 40 फाटक को पानी के भीषण दवाब को लेकर खोल दिया गया है। अब लग रहा है कि नेपाल स्थित मध्य हिमालय में भी खूब बारिश हो रही है। 
सीमांचल के अररिया-बहादुरगंज राष्ट्रीय उंच्च पथ 327 ई सड़क पर चरघरिया के पास कनकई नदी के बाढ का पानी के ओवरफ्लो होने से आवागमन प्रभावित रही और पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल एवं किशनगंज से सड़क टूटा रहा । 
1987 के भीषण बाढ से भी अधिक खराब स्थिति इस बार कनकई नदी ने पैदा कर दी। स्थानीय लोगों को जग कर रात बिताना मजबुरी हो गया। सैंकडों घरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से जनजीवन प्रभावित हो गया। यूँ कहा जा सकता है कि कोशी व महानंदा क्षेत्र बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुई है साथ ही गंगा का जल स्तर बढ़े होने की वजह से कुर्सेला भी कोशी की पानी को मुश्किल से ग्रहण कर पा रही है। बारिश का आलम यही रहा तो बाढ़ नदी के अंदर और बाहर भी तबाही मचा सकती है...